बालुवाटार, नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास स्थल है। कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यह समिति आगामी 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। एक मंत्री ने जानकारी दी कि जांच समिति के सदस्यों के नाम मंगलवार सुबह तक सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग सरकार द्वारा सोशल मीडिया (Social Media) प्रतिबंध को वापस लेना था। लेकिन जब प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हुई, तो स्थिति बेकाबू हो गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें 19 लोग मारे गए और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए।
इस गंभीर स्थिति की नैतिक जिम्मेदारी (Moral Responsibility) लेते हुए गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं, इस बीच, सोमवार को कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा ने अपना रुख दोहराया कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
जानकारी के अनुसार, मंगलवार को युवाओं के साथ-साथ समाज के बुजुर्ग और परिवारों के लोग भी प्रदर्शन में शामिल होंगे।
गौरतलब है कि 4 सितंबर को नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सऐप सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
सरकार द्वारा गठित की गई जांच समिति अब इस पूरी घटना के पीछे की वास्तविक स्थिति, पुलिस कार्रवाई और हिंसा के कारणों की जांच करेगी।
वहीं, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र महतो ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "प्रतिबंध तुरंत हटाने की सख्त जरूरत है। सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए, इसके विकल्प भी होने चाहिए। दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन घायल प्रदर्शनकारियों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए। कर्फ्यू लगाने से विरोध प्रदर्शन नहीं रुकेगा, बल्कि यह पूरे देश में फैल जाएगा। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और बिना देर किए कार्रवाई करनी चाहिए।"
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