एजेंसी ने इन सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपित किया है।
एनआईए की यह चार्जशीट 2022 के कोयंबटूर कार बम धमाके की जांच के मामले से संबंधित है। इस केस में एजेंसी पहले ही चार आरोपियों, जिसमें मद्रास अरेबिक कॉलेज के प्रिंसिपल जमील बाशा भी शामिल थे, को आरोपित कर चुकी है। कोयंबटूर धमाके के 18 आरोपियों में से 14 आरोपी कोवाई अरेबिक कॉलेज के छात्र थे, जो KAEA सोसायटी के अधीन संचालित होता था।
एनआईए ने जिन सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई, वे जमील के स्टूडेंट थे। आरोपियों की पहचान मोहम्मद हुसैन, इरशाद, अहमद अली, अबू हनीफा, जवाहर सादिक, शेख दाऊद और राजा मोहम्मद के तौर पर हुई है। इनमें से मोहम्मद हुसैन और इरशात को पहले दर्ज चार्जशीट में भी आरोपी बनाया गया था और अब उन पर अतिरिक्त धाराएँ लगाई गई हैं। इसके साथ ही, सोसायटी KAEA को भी अब कानूनी संस्था के रूप में आरोपी (Accused) बनाया गया है।
अगस्त 2023 में एनआईए ने चेन्नई शाखा में यह मामला सुओ मोटू दर्ज किया था। जांच में सामने आया कि एक आईएसआईएस-प्रेरित कट्टरपंथी समूह फ्री अरेबिक लैंग्वेज क्लासेस का आवरण बनाकर युवाओं का कट्टरपंथीकरण कर उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाता था।
एजेंसी के अनुसार, कट्टरपंथी प्रवचन और सामग्री ऑनलाइन जूम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से चलाई जाती थी। इसके अलावा, नियमित क्लासरूम सत्रों में भी जमील बाशा के लाइव या प्री-रिकॉर्डेड व्याख्यान प्रसारित किए जाते थे। एनआईए ने कहा कि इन कक्षाओं में शामिल युवाओं को धीरे-धीरे आईएसआईएस की विचारधारा की ओर मोड़ा गया।
एनआईए ने आगे बताया कि वह इस मामले में अपनी जांच जारी रखे हुए है और आईएसआईएस से प्रेरित कट्टरपंथी नेटवर्क को तोड़ने तथा इसमें शामिल सभी व्यक्तियों और संगठनों की भूमिका की गहन पड़ताल की जा रही है। एजेंसी का कहना है कि उसका लक्ष्य आतंकवादी (Terrorist) भर्ती और कट्टरपंथ फैलाने वाली सभी जड़ों को समाप्त करना है।
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