कश्मीर घाटी में लक्षित हत्याओं (Target Killing) में वृद्धि के साथ, 'अदृश्य दुश्मन' या TRF (The Resistance Front) सुरक्षा बलों के लिए नया खतरा बन गया है।
इस साल पर्यटकों की बहुतायत से स्थानीय आबादी काफी खुश है, मगर Target Killing के साथ घाटी की अस्थिर स्थिति ने जरूर चिंता बढ़ा दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समूह लश्कर तत्वों द्वारा असंतुष्ट युवाओं में आईएस (IS) की अवशिष्ट विचारधारा की अभिव्यक्ति है। हालांकि टीआरएफ (TRF) इस्लामी विचारधारा को लेकर कट्टरता पर फोकस नहीं कर रहा है और इसके तौर-तरीके गैर-मुसलमानों को लक्षित कर रहे हैं, ताकि लोगों में भय और दहशत पैदा हो सके।
प्रशासन को पता है कि वह उन कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं को निशाना बनाना चाहता है जो घाटी में काम कर रहे हैं या क्षेत्र में बस गए हैं।
टीआरएफ (TRF) की गतिविधियों को इस साल के अंत या अगले साल चुनाव की संभावना से भी जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक प्रक्रिया की बहाली को एक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। TRF के आकाओं - आईएसआई एस विंग (ISI S Wing) - द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है, जो कश्मीर और भारत को अस्थिर करने के अपने नापाक मंसूबों को लगातार आगे बढ़ा रहा है। यह जो कर रहा है वह एक हाई प्रोफाइल छद्म युद्ध को बढ़ावा दे रहा है और जबकि भारत सरकार द्वारा इसकी भूमिका को बार-बार उजागर किया गया है, हत्याएं और अधिक बढ़ रही हैं। हमला प्रत्यक्ष रूप से भारत पर है।
इनका काम करने का ढंग निंदनीय है। आईएसआई का खूंखार एस विंग का शैतानी एजेंडा पश्चिमी थिएटर में TTP के साथ हालिया स्थायी युद्धविराम से प्रेरित है। जनरल कयानी ने एक बार कहा था कि यदि पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर रणनीतिक गहराई है तो वह अपनी रणनीति और संसाधनों को अपने पूर्वी हिस्से पर केंद्रित कर सकता है जो कि कश्मीर है। यह वास्तव में आज चल रहा है, क्योंकि इन हत्याओं के आकार और दायरे को बढ़ाया जा रहा है।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है, क्योंकि अब भारत के किसी भी हिस्से का रहना वाला व्यक्ति यहां अपनी जमीन खरीद सकता है। इसके अलावा हाल ही में अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को हत्या और आतंकी गतविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा के बाद भी आतंक का रास्ता अपनाने वाले युवाओं के बीच रोष पैदा हो गया है। इस बीच आईएसआई ने लश्कर के दुष्ट तत्वों के माध्यम से टीआरएफ का इस्तेमाल कर घाटी में अपनी धाक जमा ली है।
एक हथियारबंद प्रतिक्रिया के माध्यम से असुरक्षा की भावना पैदा करके, इसने टीआरएफ को भय का माहौल बनाने के तौर पर उभारा है। आईएसआई के अधिकारी और टीआरएफ के युवा नए हथकंडे अपना रहे हैं। उदाहरण के लिए, हत्यारों के घरों में चिट भेजी जाती है, जो जम्मू में एक बस स्टैंड का पता देती है, जहां से उन्हें दोपहिया वाहन पर ऐसे स्थान पर ले जाया जाता है, जहां एक हैंडगन और एक तस्वीर प्रदान की जाती है, जो पुराने बॉम्बे सुपारी स्टाइल वाले उस समय की एक गंभीर याद दिलाती है। हत्या के लिए उस युवा को जो कमांड दिया जाता है, उसके अनुसार वह काम करता है। वह घाटी में Target Killing को अंजाम देकर वापस अपने ठिकाने या घर पर चला जाता है और चुपचाप अपना सामान्य जीवन जीने लगता है।
एक अन्य प्रणाली जम्मू की ओर एलओसी नाले के माध्यम से घुसपैठ की है, जहां छोटे हथियारों की खेप को उठाया जाता है और श्रीनगर ले जाया जाता है। मिलन स्थल ऐसे कट ऑफ के साथ बनाए गए हैं कि श्रृंखला को तोड़ना मुश्किल है।
इसी तरह, समान आकार के पैकेज वाले 25 किलो के ड्रोन का इस्तेमाल जम्मू सेक्टर में छोटे हथियारों, स्टिकी बमों और ग्रेनेड पैक्स को गिराने के लिए भी किया जा रहा है, जिन्हें उठाकर गुप्त रूप से घाटी में ले जाया जाता है। घटनाक्रम के करीबी सूत्रों ने यह भी खुलासा किया है कि हाल ही में जम्मू सेक्टर में इंडियन मार्किंग के साथ एक ड्रोन पाया गया था। शायद हत्याओं की प्रवृत्ति को देखते हुए, आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका एक स्थानीय पुलिस खुफिया आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करना है, जो कि एक ऑपरेशन और सामरिक पहुंच से प्रेरित है।
भले ही यह नया अदृश्य दुश्मन डर फैलाने के लिए गैर-मुसलमानों को निशाना बना रहा है, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई एलओसी पर अलग-अलग बिंदुओं से हिजबुल और जैश के आतंकवादियों को एक डायवर्जन रणनीति के रूप में धकेलती रहती है, लेकिन इन्हें भारतीय सेना द्वारा कश्मीर घाटी में नियमित मुठभेड़ों के जरिए वश में किया जा रहा है।
(आईएएनएस/PS)