लिपिकार: सुचिता तिवारी 
लिपिकार

अपनी आंखें खोलो, दूसरों की फोड़ो मत- सुचिता तिवारी

लिपिकार (Lipikar) में हम आज पढ़ेंगे उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में जन्मीं और हरमन माइनर स्कूल, वाराणसी की मुख्याध्यापिका श्रीमती सुचिता तिवारी (Suchita Tiwari) के बारे में जिनकी लेखनी ही उनके आत्मविश्वास का कारण है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

सुचिता तिवारी

मुख्याध्यापिका

हरमन माइनर स्कूल, वाराणसी

आपकी पसंदीदा लेखन शैली क्या है?

व्यंग्यात्मक

आपके पसंदीदा लेखक/लेखिका कौन हैं?

रामधारी सिंह दिनकर जी, जयशंकर प्रसाद जी

आपकी पसंदीदा पुस्तक कौन सी है?

रश्मिरथी

आपके द्वारा लिखा गया पहला लेख?

हमारा जीवन

आपको लिखने के लिए क्या प्रेरित करता है?

घटनाक्रम

आपके बारे में ऐसी कौन सी बात है जिसे जानकर लोग आमतौर पर आश्चर्यचकित हो जाते हैं?

मेरा असत्य, अनुशासनहीनता और दुराचार के विरुद्ध जो रवैया होता है वो अक्सर लोगों को आश्चर्य में डाल देता है।

आक्रामकता असत्य, अनुशासनहीनता और दुराचार के विरुद्ध।आपके जीवन में सबसे अधिक प्रभाव किसने डाला है? कैसे?

मेरे पिताजी का मेरे जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव रहा है। वो एक निर्भीक, अनुशासित, विद्वान, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी आदर्श अधिकारी थे। मैं उनके हर बात को अपने जीवन का आधार मानती हूं।

कोई ऐसी बात बताएं जो आपको सच लगती है पर उसपर लगभग कोई भी आपसे सहमत नहीं होगा।

किसी पर अंधविश्वास मत करो।

आपका पसंदीदा उद्धरण क्या है?

ये वक्त नहीं रहेगा।

आपके द्वारा लिखी गई सबसे अच्छी पंक्ति

*मुझे अपने ग़म का कोई ग़म नहीं,

ग़म तो ये है कि उसके पास कोई ग़म नहीं l

*अपनी आंखें खोलो, दूसरों की फोड़ो मत।

आपका पाठकों के लिए कोई संदेश?

हर किसी के अन्दर एक लेखक होता, जरुरत है तो अपने भावों को कलमबद्ध करने की। जब भी आपके अन्दर विचारों का तुफ़ान आए, लिख डालें।

आपको क्या चीज़ प्रोत्साहित करती है?

कोई अपवाद।

आधुनिकता के इस दौर में पुस्तकों का चलन कम हो गया है? यदि  हाँ, तो यह किस हद तक सही है?

अब लोग पढ़ना नहीं चाहते, ये दु:खद है।

लेखन ने आपके जीवन को किस प्रकार नई गति दी?

लेखन ने मेरे भीतर आत्मविश्वास जगाया। लेखन में बहुत ताकत है। इंसान लिखने से कभी भी अवसाद ग्रस्त नहीं होता है, बल्कि तनाव मुक्त होता है।

लिपिकार/सुचिता तिवारी/PS

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