घायल आँखें और माथे पर चोट के निशान, एक ऐसा व्यक्ति जो न कभी मरा और न कि ठीक से जी पा रहा है, बस उसे इधर उधर घूमते देखा गया! यह विवरण किसी साधारण मनुष्य के नहीं है बल्कि लोगों के मुताबिक अश्वत्थामा के हैं। जी हां! वही अश्वत्थामा जो महाभारत में अपनी युद्ध कलाओं के लिए प्रचलित हुआ। एक श्राप ने न ही अश्वत्थामा को जीने दिया और न ही मरने दिया। पिछले 2000 सालों से बस धरती पर अश्वत्थामा को इधर उधर मंडराते हुए देखा गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में अश्वत्थामा जिंदा है? आइए जानतें है रहस्य से भरी इस कहानी को।
कौन था अश्वत्थामा और क्यों मिला था श्राप?
अश्वत्थामा का जिक्र महाभारत के पन्नों में मिलता है वह गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था और एक महान योद्धा भी। ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा के पास असीम शक्तियां थी जो एक रत्न के रूम में थीं, और जो उसे बीमारी थकावट और मृत्यु से बचाए रखती थी। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अश्वत्थामा अमर था बल्कि उसे अजेय कह सकते हैं। अश्वत्थामा को भगवान शिव का आंशिक रूप भी माना जाता है। अश्वत्थामा ने महाभारत के युद्ध में कौरवों के पक्ष में युद्ध लड़ा था और बड़े ही वीरता के साथ कौरवों का साथ दिया। ऐसा माना जाता है कि जब महाभारत के युद्ध में कौरव पक्ष हारने लगा और दुर्योधन की मृत्यु हो गई तब अश्वत्थामा अत्यंत क्रोधित हुआ और दुर्योधन की मृत्यु का बदला लेने के लिए आधी रात में पांडवों के कक्ष में जाकर उप पांडवों यानी द्रोपदी के पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया। जब द्रौपदी को अपने पुत्रों के मौत का कारण पता चला तब द्रौपदी ने न्याय की मांग की। गुस्से में आकर भीम और अर्जुन दोनों अश्वत्थामा के पीछे भागे और उससे उसका रन छीन लिया जिससे अश्वत्थामा की शक्तियां बरकरार रहती थी। जब अश्वत्थामा पकड़ा गया तो श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा के इस कर्म के लिए उसे श्रापित किया और कहा:
ना तू जिएगा ना तू मरेगा ना ही तेरे घाव भरेंगे। तू हजारों सालों तक इस धरती पर भटकता रहेगा। तुझे कभी चैन नहीं मिलेगा और तेरी अवस्था को देखकर लोग तुझसे डरेंगे।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के इसी श्राप के कारण अश्वत्थामा आज भी इस धरती पर भटकता रहता है।
क्या आज भी जीवित है अश्वत्थामा?
अश्वत्थामा को लेकर समय-समय पर कई कहानियां सामने आती रही हैं कई लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने अश्वत्थामा को देखा है और महसूस किया है। हिमालय की ऊंची चोटियों में रहने वाले कुछ साधुओं ने इस बात का जिक्र किया है कि उन्होंने अश्वत्थामा जैसे ही किसी साधु को देखा है। उनका कहना है कि हिमालय के पर्वत पर अश्वत्थामा विराजमान है। एक ऐसा साधु जिसकी आंखों से घाव के कारण खून टपकता है जो काफी जख्मी नजर आता है किसी से कुछ भी नहीं कहता केवल ध्यान करता है। वहां के लोग उस साधु को अश्वत्थामा के रूप में मानते हैं। वही मध्य प्रदेश के नर्मदा इलाके में भी कुछ लोगों ने दावा किया कि उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा है जो काफी जख्मी है जिसका माथा फूटा हुआ है आंखों से खून आता है वह व्यक्ति हर रात नर्मदा नदी के किनारे आता है और उसका पानी पीकर कहीं गायब हो जाता है। लोगों की इन्हीं मान्यताओं के कारण ऐसा कहा जा रहा है कि अश्वत्थामा आज भी इस धरती पर जीवित है और इधर-उधर भटक रहा है। Rh/SP