Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या के राम मन्दिर में उनकी ही बनाई हुई बाल राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। (Wikimedia Commons) 
धर्म

राममंदिर के लिए तय की गई अरुण योगीराज की मूर्ति, 6 महीने की मेहनत रंग लाई

इस मूर्ति को लेकर आज अरुण योगीराज चर्चा चारों तरफ हो रही है उनके पिता और दादा भी मूर्तिकार थे। अरुण योगीराज के दादा वोडेयार राज घराने के शाही शिल्पीकार थे।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Ayodhya Ram Mandir: संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी के सोशल मीडिया से जानकारी प्राप्त हुई कि अयोध्या में श्रीराम की जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी उसे कर्नाटक के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बयान नहीं आया लेकिन प्रल्हाद जोशी के ट्वीट के बाद कर्नाटक के कई सांसदों और नेताओं ने सोशल मीडिया पर अरुण योगीराज को बधाई दी।

कहा जा रहा है कि अयोध्या के राम मन्दिर में उनकी ही बनाई हुई बाल राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। आज वह जितना गर्व ख़ुद की कला पर कर रहे होंगे उतनी ही खुशी उनके पूरे परिवार तथा पूर्वजों को होगी। अरुण योगीराज की मां सरस्वती ने कहा कि " मैं बहुत खुश हूं, काश उसके पिता जीवित होते तो बहुत खुश होते। पूरी दुनिया मेरे बेटे की कला को देखेगी।"

उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की 30 फ़ीट ऊंची प्रतिमा बनाई है, जो अमर जवान ज्योति पर मौजूद है।(Wikimedia Commons)

कौन है अरुण योगीराज ?

इस मूर्ति को लेकर आज अरुण योगीराज चर्चा चारी तरफ हो रही है उनके पिता और दादा भी मूर्तिकार थे। अरुण योगीराज के दादा वोडेयार राज घराने के शाही शिल्पीकार थे। अरुण ने मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया है। वे सुप्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज के बेटे हैं और उनका पांच पीढ़ियों से मूर्ति बनाने का काम है। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की 30 फ़ीट ऊंची प्रतिमा बनाई है, जो अमर जवान ज्योति पर मौजूद है। इसके साथ ही उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई है और शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 फ़ीट ऊंची है। उन्होंने रामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा का भी निर्माण किया था।

इन मूर्तियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी भी तारीफ़ कर चुके है।

उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई है और शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 फ़ीट ऊंची है।(Wikimedia Commons)

परिवार में किसी ने भी नहीं देखी श्रीराम की मूर्ति

तक़रीबन 6 महीने की मेहनत से इन्होंने मूर्ति बनाई है अरुण योगी राज ने मूर्ति को लेकर इतनी गोपनीयता बरती की उनकी मां और पत्नी भी श्री राम के दर्शन नहीं कर पाईं।अरुण योगीराज की पत्नी विजेता अरुण योगीराज ने कहा कि वह बहुत समर्पित होकर काम करते हैं। बहुत समय देते हैं। जब तक उन्हें खुद भगवान नजर नहीं आ जाते वे शिला पर काम करते रहते हैं। भगवान राम की मूर्ति उत्तर कर्नाटक के कारकला के पत्थर पर की गई या मैसूर के एचडी कोटे के पत्थर पर लेकिन माना जा रहा है कि रामलला की मूर्ति उत्तर कन्नड़ जिले के कारकला पत्थर पर की गई है।

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