<div class="paragraphs"><p>धर्मगुरु दलाई लामा के प्रवास के कारण बिहार का बोधगया बौद्ध नगरी बन गया (IANS)</p></div>

धर्मगुरु दलाई लामा के प्रवास के कारण बिहार का बोधगया बौद्ध नगरी बन गया (IANS)

 

बौद्ध धर्म गुरु का कालचक्र मैदान में प्रवचन हुआ

धर्म

धर्मगुरु दलाई लामा के प्रवास के कारण बिहार का बोधगया बौद्ध नगरी बन गया

न्यूज़ग्राम डेस्क

बिहार (Bihar) के गया (Gaya) जिले के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल और धर्मनगरी बोधगया (Bodh gaya) में बौद्ध धर्मावलंबियों के धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) के प्रवास के दौरान टीचिंग के दौरान बौद्ध धर्मावलंबियों की जुटी भीड़ से मानो बोधगया बौद्धों की नगरी में परिवर्तित हो गई। इस कार्यक्रम में देश विदेश के करीब डेढ़ से दो लाख लोग मौजूद रहे।

इस दौरान लग रहा है, जैसे बौद्धों की पूरी दुनिया ही यहां सिमट आई हो। देश के विभिन्न राज्यों के अलावा तिब्बत, नेपाल, जापान, भूटान, म्यांमार सहित कई देशों से करीब डेढ़ लाख बौद्ध धर्मावलंबी ज्ञान की इस नगरी में मौजूद रहे।

शीर्ष धर्मगुरु दलाईलामा के तीन दिनों तक चले प्रवचन के दौरान लामाओं की एकजुटता और एकाग्रता धर्म के प्रति आस्था और शांति की मिसाल पेश की।

29, 30 और 31 दिसंबर को बौद्ध धर्म गुरु का कालचक्र मैदान में प्रवचन हुआ। इसमें नागार्जुन का पाठ होगा और 21 तारा देवी का अभिषेक किया गया।

तिब्बती पूजा समिति से जुड़े अमजे लामा ने बताया कि दलाई लामा ने प्रवचन दिया और अभिषेक किया। उन्होंने बताया कि दिन की टीचिंग के दौरान बोधिसत्व की दीक्षा भी दी गई। उन्होंने कहा कि धर्मगुरु के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में देश और विदेश के लोग आते हैं।

बोधगया में दलाईलामा सेंटर फॉर तिब्बतियन एंड इंडियन एंसीएन्ट विजडम

इधर, देश और विदेश से बड़ी संख्या में बोधगया पहुंचने के कारण व्यवसाई भी खुश है। दुकानदारों का कहना है कि पिछले दो से तीन सालों के कोरोना काल के दौरान व्यवसाय करीब ठप हो गया था।

इस बीच, बोधगया में दलाईलामा सेंटर फॉर तिब्बतियन एंड इंडियन एंसीएन्ट विजडम का बौद्ध धर्म गुरु दलाईलामा ने शिलान्यास भी किया।

इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत सहित कई लोग मौजूद रहे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस दौरान बोध गया पहुंचकर धर्मगुरु से मुलाकात की।

मान्यता है कि बोधगया के महाबोधि मंदिर परिसर स्थित महाबोधि (पीपल) वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

आईएएनएस/PT

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