Ganesh Puran:- विष्णु पुराण में जिस प्रकार भगवान विष्णु के अवतारों का वर्णन मिलता है उसी प्रकार गणेश पुराण में भी भगवान गणेश के कई अवतारों को बताया गया है। गणेश पुराण में यह बताया गया है कि जब धरती पर पाप और अत्याचार चरम पर होगा तो भगवान गणेश मनुष्यों को धर्म का मार्ग दिखाने के लिए अवतार लेंगे। गणेश पुराण में यह भी बताया गया है कि गणेश जी नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर पपिया का विनाश करेंगे और सतयुग की नई शुरुआत होगी इस पुराण में भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि कलयुग के अंत में भगवान गणेश चारभुजा संयुक्त होकर अवतार लेंगे। तो चलिए जानते हैं कि भगवान गणेश के इस नए अवतार का क्या नाम होगा और यह देखने में कैसा होगा।
गणेश पुराण में बताया गया है कि जब ब्राह्मण का मन वेद अध्ययन से हटकर दूसरे काम में लगने लगेगा जब वे तब यज्ञ और शुभ कर्म करना बंद कर देंगे जब समय पर वर्षा न होने से लोग खेती नदी किनारे करने लगेंगे तो भगवान गणेश का कलयुग अवतार प्रकट होगा। गणेश पुराण में यह भी बताया गया है कि जब लोग लालच में आकर एक दूसरे को धोखा देने में संकोच नहीं करेंगे यहां तक विद्वान और धार्मिक लोग लालच वर्ष धान कामना के चक्कर में मूर्ख बन जाएंगे तो उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा। उल्टा जो कुछ भी उनके पास होगा वह भी चला जाएगा और तब धरती से अन्याय का नाश करने के लिए भगवान गणेश का नया अवतार जन्म लेगा।
गणेश पुराण में बताया गया है कि कलियुग में लब लोग धर्म के रास्ते को छोड़कर अधर्म के रास्ते पर चलने लगेंगे या फिर लोग अपने लालच को पूरा करने के लिए देवताओं के स्थान पर आसुरी शक्तियों की पूजा करने लगेंगे। ब्राह्मण में अपने अच्छे कर्म को छोड़कर सिर्फ लालचवश अपना पेट भरने लगेंगे तो इन सब बुराइयों को दूर करने के लिए गणेशजी के कलियुग अवतार का प्रकट होगा।गणेश पुराण के अनुसार कलियुग में जब वैश्य समाज के लोग मेहनत से धन कमाने की बजाए बुरे आचरण को करके धन बटोरना शुरू कर देंगे। स्त्रियां अपने पतिव्रता धर्म को छोड़कर अधर्म का रास्ता अपना लेंगी। लोग माता-पिता और गुरुजनों अपमान करने लगेंगे तो ऐसी बुराइयों को दूर करने के लिए भगवान गणेश को भी धरती पर आकर अपना अवतार लेना होगा।
कलयुग में नए अवतार में प्रकट होने वाले गणेश जी का नाम धूम्रवर्ण एवं सूर्पकर्ण होगा। भगवान के हाथों में खड्ग होगा। अपनी इच्छा से गणेश जी सेना और अस्त्र-शस्त्र उत्पन्न करेंगे। पापियों के बढ़ते मनोबल और धर्म की हानि से गणपति के नेत्रों में क्रोध भरा होगा।
पापियों को नष्ट करने के लिए शूर्पकर्ण आंखों से अग्नि की वर्षा करेंगे। पपिया का नाश करने के बाद जब गणेश जी का क्रोध शांत होगा तब अधर्मियों के दर से पर्वत की कंधराओं में छुपे हुए संत जनों को भगवान गणेश आशीर्वाद देंगे और उनके हाथों में धर्म की पुनः स्थापना का काम सौंपेंगे। और इस प्रकार सतयुग का आरंभ स्वयं गणेश जी के हाथों से होगा।