दस महाविद्याओं की आज की कड़ी में हम दसवीं और आखिरी महाविद्या कमला के बारे में जानेंगे। यह महाविद्या दरिद्रता, संकट, गृहकलह और अशांति को दूर करती हैं। भक्तों के अनन्य सेवा और भक्ति से माँ प्रसन्न होकर सुख-शांति से सम्पन्न जीवन प्रदान करती हैं, जहां भक्त को अभीष्ट समृद्धि, धन, नारी, पुत्रादि की प्राप्ति होती है।
इन देवी को तांत्रिक लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, जो सौभाग्य प्रदान करती हैं। समुद्र के बीच कमल आसान पर विराजमान इन देवी को, चार श्वेत हाथी अपने सूंड में स्वर्ण घड़े को थामकर, अभिषेक करवा रहे हैं।
लाल पोशाक में विराजमान यह देवी सुनहरे आभूषणों को धारण करती हैं। चार भुजाओं वाली इन महाविद्या के दो हाथों में कमाल के पुष्प और दो हाथ क्रमशः वर और अभय की मुद्रा में हैं। नवदुर्गा में सिद्धिदात्री नामक शक्ति माँ कमला ही हैं। शिव की ही भांति इनके भी तीन नेत्र हैं और इनकी साधना में विशेषतः कमलगट्टे की माला का प्रयोग किया जाता है।
माता कमला से संबंधित भगवान शिव रुद्रावतार कमलेश्वर महादेव है। इन्हें प्रकाश अत्यंत प्रिय है और ये अंधकार से दूर रहती हैं।