द्रिक पंचांग के अनुसार, रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय शाम 4 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। वहीं, त्रयोदशी का समय 4 अक्टूबर शाम 5 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 5 अक्टूबर दोपहर के 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी।
अग्नि और स्कंद पुराणों में उल्लेख है कि रविवार का व्रत रखने से साधक को सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। रविवार का व्रत आप किसी भी महीने की शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है। 12 रविवार व्रत कर उद्यापन कर दें।
व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र मंत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि (Happiness and Prosperity) और सफलता मिलती है।
सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
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