Masik Durgashtami : इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो भी भक्त मां दुर्गा की आराधना करता है, देवी मां की कृपा से उसकी सारी मनोकामना पूरी होती हैं। (Wikimedia Commons) 
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मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा की करें विधि विधान से पूजा, समस्याओं से मिलेगा छुटकारा

न्यूज़ग्राम डेस्क

Masik Durgashtami : हिंदू धर्म में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। आपको बता दें ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 14 जून को है। इसलिए 14 जून को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही साथ भक्तों के सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। ज्योतिष शास्त्र में मासिक दुर्गाष्टमी पर पूजा के समय विशेष उपाय करने का विधान है। इन उपायों को करने से मनचाहा वर मिलता है। अगर आपकी शादी में बाधा आ रही है, तो मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता का पूजा करने से उत्तम वर की प्राप्ति होगी।

मासिक दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जून 2024 को रात 8 बजकर 03 मिनट से आरंभ होगा और 14 जून 2024 को रात 10 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। उदया तिथि होने के कारण इस बार 14 जून को मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा की जाएगी।

मासिक दुर्गाष्टमी पर पूजा के समय विशेष उपाय करने का विधान है। इन उपायों को करने से मनचाहा वर मिलता है। (Wikimedia Commons)

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत का महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन माता रानी की पूजा उपासना करने से समस्त कष्टों का जल्द ही निवारण होता है। इसके साथ ही मां भगवती भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा भी करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो भी भक्त मां दुर्गा की आराधना करता है, देवी मां की कृपा से उसकी सारी मनोकामना पूरी होती हैं।

पूजा विधि

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। उसके बाद पूजा स्थान को स्वच्छ करें और देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद देवी दुर्गा को फल, फूल, मिठाई और नैवेद्य अर्पित करें। फिर देवी दुर्गा का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें। धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं. देवी दुर्गा की आरती गाएं। दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या देवी दुर्गा के अन्य स्तोत्रों का पाठ अवश्य करें. व्रत रखें और पूरे दिन फलाहार करें। रात में देवी दुर्गा की कथा सुनें और अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें।

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