Meena Sankranti 2024: इस योग में पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।(Wikimedia Commons) 
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मीन संक्रांति कब है? जानिए शुभ संयोग और इसका महत्व

सूर्य देव की कृपा पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इस दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है और इस दिन वैधृति योग का निर्माण हो रहा है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Meena Sankranti 2024 : सनातन धर्म में जब सूर्यदेव दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो वह दिन संक्रांति कहलाता है और जिस राशि में सूर्यदेव प्रवेश करते हैं उसे उसी नाम से जाना जाता है। 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। सनातन धर्म में मीन संक्रांति का खास महत्व है। सूर्य 12 राशियों में प्रवेश करते हैं और ये क्रम मेष राशि से शुरू होकर मीन राशि पर समाप्त होता है।

14 मार्च गुरुवार को मीन संक्रांति है। हिन्दू शास्त्र में सूर्य देव की कृपा पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इस दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है और इस दिन वैधृति योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही भरणी नक्षत्र में सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इस योग में पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।

इस दिन उगते सूर्य को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य दें। (Wikimedia Commons)

मीन संक्रांति की शुभ तिथि

अब सूर्य अपने पुत्र की राशि कुंभ से निकलकर सूर्य अब देवगुरु बृहस्पति की राशि मीन में फाल्गुन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 14 मार्च 2024 दिन बृहस्पतिवार दिन में 2:37 बजे के बाद होगा। इसके साथ ही इस दिन से खरमास लग जाएगा। इस दिन पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से शाम 06 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। मीन संक्रांति का महा पुण्य काल 12 बजकर 46 मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

क्या करें इस दिन

इस दिन उगते सूर्य को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य दें। इससे स्वास्थ्य सही तो होता ही है इससे नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है। संक्रांति के दौरान दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, तिल और अनाज का दान करें। मीन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करें इसके साथ ही आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। इस दिन गाय को चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है। इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन, वस्त्र या धन का दान करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और इससे पितर भी प्रसन्न होते हैं और कई प्रकार के ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है।

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