Mohini Ekadashi 2024 : इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप का पूजन-अर्चन किया जाता है। (Wikimedia Commons) 
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मई में कब है मोहिनी एकादशी? इस दिन व्रत रखने से सदा बनी रहती है श्री हरि की कृपा

मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने से पुण्य की प्राप्ति होने के साथ अच्छे कर्म मिलते हैं। इसके साथ ही दान देने से कई यज्ञ कराने के बराबर पुण्य मिलता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से एक हजार गायें दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Mohini Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी सभी एकादशियों में से काफी खास मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, यह एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। मान्यता है कि जो भी भक्त ऐसा करते हैं उनके जीवन में सुख-सौभाग्य आता है और श्री हरि की कृपा हमेशा उन पर बनी रहती है।

मोहिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त

एकादशी तिथि 18 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से आरंभ होगा और अगले दिन यानी 19 मई को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। उदया तिथि होने के कारण मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा।

जो भी भक्त इस दिन व्रत रखते हैं उनके जीवन में सुख-सौभाग्य आता है और श्री हरि की कृपा हमेशा उन पर बनी रहती है। (Wikimedia Commons)

कैसे करें हरि की पूजा

मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु जी को पीले रंग पसंद हैं इसलिए भगवान को पीले फूल चढ़ाकर धूप, दीप, नैवेद्य का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णु भगवान की आरती करें। इस दिन गरीबों को भोजन करवाने का भी महत्व है। मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने से पुण्य की प्राप्ति होने के साथ अच्छे कर्म मिलते हैं। इसके साथ ही दान देने से कई यज्ञ कराने के बराबर पुण्य मिलता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से एक हजार गायें दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

क्या है महत्व

इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम एवं विष्णुजी के मोहिनी स्वरूप का पूजन-अर्चन किया जाता है। पदम् पुराण के अनुसार, त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ के कहने से भगवान राम ने इस व्रत को किया। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत सब प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है।

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