पितरों को याद करने उनका श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होते हैं [pixabay] 
धर्म

पितृ पक्ष 2023, जानिए इसके शुरुआत और समापन का समय

आखिर क्या है पितृ पक्ष और इसका क्या महत्त्व है? ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष में पितरों को याद करने उनका श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होते हैं इसके अलावा पितृपक्ष में पूर्वजों को जल देने का विधान है।

Sarita Prasad, न्यूज़ग्राम डेस्क

पितृ पक्ष हर साल 16 दिन के लिए मनाया जाता है, इस अवधि में हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिए पिंडदान करते हैं। इसे 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से होती है और और आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इसका समापन होता है। पितृपक्ष लगभग 16 दोनों का होता है जिसमें सभी अपने पूर्वजों को अपने पितरों को याद करते हैं उनके लिए पूजा अर्चना व श्राद्ध कर्म किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष में पितरों को याद करने उनका श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होते हैं इसके अलावा पितृपक्ष में पूर्वजों को जल देने का विधान है।

आईए जानते हैं कि पितृपक्ष की शुरुआत कब से हो रही है?

इस वर्ष यानी 2023 में पितृपक्ष की शुरुआत सितंबर महीने के 29 तारीख यानी दिन शुक्रवार से शुरू होकर अक्टूबर महीने के 14 तारीख को समाप्त होगी। पितृ पक्ष को पितृ दोष मुक्ति का महापर्व और श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है पितृ पक्ष में हर साल पितरों के निमित्त पिंडदान तर्पण और हवन इत्यादि किए जाते हैं एक ध्यान देने वाली बात यह है की सभी लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही उनका श्राद्ध करते हैं और उन्हें याद करते हैं

पितृ पक्ष का महत्व

ज्योतिषाचार्य प्रेम प्रसाद शास्त्री के अनुसार पितृपक्ष में पितर धरती पर आते हैं और अपने वंश से तर्पण पिंडदान या श्रद्धा से तृप्त होने की उम्मीद रखते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में अपने पितरों को तृप्त नहीं करते वे उनके श्राप और नाराजगी के भागी बनते हैं और उनके पित्र उन्हें दुखी होकर श्राप देते हैं जिससे वह व्यक्ति पूरे जीवन परेशान ही रहता है। यहां तक की संतान सुख से भी वंचित हो जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण करना अत्यंत आवश्यक है जिससे खुश होकर हमारे पूर्वज घर पर सुख शांति का आशीर्वाद देते हैं पितृपक्ष में श्राद्ध करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है और वह प्रसन्न होकर पूरे परिवार को आशीर्वाद भी देते हैं। पितृपक्ष का सबसे बड़ा महत्व ही हमारे पूर्वजों से जुड़ा हुआ है उनके आशीर्वाद उनके मोक्ष और घर की सुख शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत ही आवश्यक है।

घर की सुख शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत ही आवश्यक है। [pixabay]

पितरों या पूर्वजों को खुश करने के उपाय

कई बार ऐसा होता है कि घर में सुख शांति का माहौल बनता ही नहीं है ऐसे में कई ज्योतिषी शास्त्र और पुजारी उसे व्यक्ति को यह सलाह देते हैं कि अपने पूर्वजों का स्मरण करते रहे यदि पूर्वजों का आशीर्वाद घर पर होगा तो सुख शांति जरूर आएगी। ज्योतिषी शास्त्री और पुजारी सलाह देते हैं कि यदि किसी के पूर्वज नाराज हैं तो उनकी मृत्यु की तिथि के दिन यदि श्राद्ध पक्ष में या किसी की अमावस्या तिथि के दिन पिंडदान और तर्पण किया जाए तो पितर या पूर्वज जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। पीतर तिथि अत्यंत विशेष होती है क्योंकि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो वह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है पितृ पक्ष में उसे तिथि पर ही श्राद्ध तर्पण भोजन दान पंचवली पिंडदान करने से पितृ या पूर्वज जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

पीतर तिथि अत्यंत विशेष होती है क्योंकि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो वह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है [pixabay]

पितृपक्ष में भोजन के पांच अंश का महत्व

ज्योतिषशास्तत्रि प्रेम प्रसाद शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर स्वयं आकर आशीर्वाद देते हैं परंतु ऐसा तो संभव नहीं कि वह किसी मनुष्य या आत्मा का रूप लेकर धरती पर आए इसलिए हमारे पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे पास आते हैं जिनमें गाय कुत्ता कौवा और चींटी प्रमुख हैं। श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश निकल जाते हैं गाय कुत्ता चींटी कौवा और देवताओं के लिए कुत्ता जल तत्व का प्रतीक है वही चींटी अग्नि तत्व का प्रतीक है कौवा वायु तत्व का तो गए पृथ्वी तत्व और देवता आकाश तत्व का प्रतीक होते हैं इस प्रकार इन पांचो को आहार देकर हम पांच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

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