रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के महोत्सव को ध्यान में रख कर राम मंदिर निर्माण समिति की इस माह दूसरी बार बैठक होने जा रही है। दो दिवसीय बैठक का आरंभ शुक्रवार से हो रहा है। बैठक में 22 जनवरी को प्रस्तावित रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व राममंदिर के भूतल के निर्माण से जुड़े सभी अंगों, उपांगों का काम पूरा किए जाने की समीक्षा होगी।श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट रामलला के अर्चकों की पात्रता के लिए कई मानक तय कर रहा है। इसके लिए रामोपासना से जुड़े विशेषज्ञों की राय ली जा रही है।
सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञ अर्चकों के लिए यह मानक भी तय करने में लगे हैं कि रामलला का अर्चक वही हो सकता है, जिसका जन्म अयोध्या में ही हुआ हो।मंदिर निर्माण समिति की बैठक में रामलला की मूर्ति के निर्माण की भी समीक्षा होगी।नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापना के लिए रामलला की तीन मूर्तियां निर्माणाधीन हैं और उसमें से जो श्रेष्ठतम होगी उसे राममंदिर में स्थापित करने के लिए चुना जाएगा। बैठक में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर उमड़ने वाले श्रद्धालुओं के ज्वार को नियोजित करने तथा उनके भोजन, आवास, आवागमन से जुड़ी व्यवस्था की भी रूपरेखा को अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।
रामलला की मूर्ति स्थापित होने से पहले ही, सुरक्षा बल ने परिसर की रक्षा हेतु अपने कमान कस लिए हैं। विशेष ट्रेनिंग के बाद गुरुवार से सुरक्षा कर्मियों को परिसर में विभिन्न स्थानों पर तैनात कर दिया गया है। प्रदेश सरकार ने राम मंदिर की सुरक्षा के लिए एसएसएफ की आठ कंपनियां उपलब्ध कराई हैं।
सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने एसएसएफ के तैनात होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि विशेष फोर्स को रेड जोन और उससे सटे परिसर में तैनाती दी गई है। यहां पहले से तैनात पीएसी के स्थान पर इस फोर्स को तैनात किया गया है। पीएसी की चार कंपनियां अभी यहां तैनात हैं। जनवरी 2024 में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस आयोजन में सम्मिलित। कार्यक्रम को भव्य बनाने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। एसएसएफ की तैनाती उसी का हिस्सा है।
रामजन्मभूमि परिसर में रामलला सहित देवी-देवताओं की मूर्ति के अलावा किसी अन्य की मूर्ति नहीं स्थापित होगी। यह जानकारी तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने दी।
वह पत्रकारों के इस सवाल का उत्तर दे रहे थे कि क्या रामजन्मभूमि परिसर में मंदिर आंदोलन के मुख्य शिल्पी अशोक सिंहल की मूर्ति स्थापित होगी। इस पर उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया की, देवी देवताओं के अलावा और किसी की भी मुर्तियां स्थापित होने की संभावना नहीं है।