Saphala Ekadashi - सफला एकादशी एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से प्राणी के सारे दुःख- दर्द समाप्त होते हैं । (Wikimedia Commons) 
धर्म

साल की पहली एकादशी सफला एकादशी, जानिए कब है और क्या है शुभ मुहूर्त?

मान्यताओं के अनुसार सफला एकादशी एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से प्राणी के सारे दुःख - दर्द समाप्त होते हैं और भाग्य खुल जाता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Saphala Ekadashi - यह एकादशी तो अपने नाम के अनुसार ही भक्तों के सभी कार्यों को सफल एवं पूर्ण करने वाली है। धर्मग्रंथों में इस एकादशी के बारे में कहा गया है कि हज़ारों वर्ष तक तपस्या करने से जिस पुण्यफल की प्राप्ति होती है, वह पुण्य भक्तिपूर्वक रात्रि जागरण सहित सफला एकादशी का व्रत करने से मिलता है। इस दिन जरूर मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करे ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। मान्यताओं के अनुसार सफला एकादशी एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से प्राणी के सारे दुःख- दर्द समाप्त होते हैं और भाग्य खुल जाता है। इस एकदशी का व्रत रखने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस बार सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी 2024 को किया जाएगा, जो कि नए साल 2024 की पहली एकादशी होगी। (Wikimedia Commons)

सफला एकादशी की तिथि

पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 06 और 07 जनवरी 2024 की रात 12 बजकर 42 मिनट पर होगी और एकादशी तिथि का समापन 07 और 08 जनवरी 2024 की रात 12 बजकर 46 मिनट पर होगी। सफला एकादशी तिथि 7 जनवरी 2024 दिन रविवार को है। पंचांग के अनुसार सफला एकादशी का व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ता है, इस बार सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी 2024 को किया जाएगा, जो कि नए साल 2024 की पहली एकादशी होगी।

व्रत पारण के लिए शुभ समय

पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 7 जनवरी 2024 को देर रात 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी, जबकि एकादशी तिथि की समाप्ति 8 जनवरी 2024 को देर रात 12 बजकर 46 मिनट पर होगी। सफला एकादशी व्रत 7 जनवरी को रखा जाएगा। वहीं इस एकादशी का पारण 8 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट से बीच किया जा सकता है।

इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है। (Wikimedia Commons)

पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि करके साधक को इस दिन व्रत रहकर भगवान विष्णु की मूर्ति को 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ' मंत्र का उच्चारण करते हुए पंचामृत से स्नान आदि कराकर वस्त्र, चन्दन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप, नैवैद्य, ऋतुफल, पान, नारियल आदि अर्पित करके कपूर से आरती उतारनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार यदि रात के समय जागरण करके व्रत का पारण किया जाए तो यह बहुत ही उत्तम फलदायी होता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है।

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