Shani Jayanti 2024 Date : शनि जयंती पर शनि देव की उपासना करने से कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। (Wikimedia Commons) 
धर्म

कब है शनि जयंती? इस दिन पूजा करने से शनि की महादशा से मिलेगा छुटकारा

शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की पूजा करने से शनि की महादशा से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। शनि के अच्छे फल से नौकरी और बिजनेस में तरक्की, प्रॉपर्टी, धन लाभ और राजनीति में बड़ा पद मिलता है। शनि जयंती पर शनि देव की उपासना करने से कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Shani Jayanti 2024 Date: शनिदेव को सूर्यदेव का सबसे बड़ा पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी, शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियाँ और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। सनातन धर्म में शनि जयंती का बेहद खास महत्व है। इस दिन स्नान, ध्यान, पूजा और तप करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की पूजा करने से शनि की महादशा से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

शनि के अच्छे फल से नौकरी और बिजनेस में तरक्की, प्रॉपर्टी, धन लाभ और राजनीति में बड़ा पद मिलता है। शनि जयंती पर शनि देव की उपासना करने से कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

शनि जयंती के अवसर पर भगवान हनुमान जी की पूजा-अर्चना करना भी उत्तम माना जाता है। (Wikimedia Commons)

तिथि तथा शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत 07 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर होगी और इसका समापन 08 मई को सुबह 08 बजकर 51 मिनट पर होगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, शनि जयंती 08 मई को मनाई जाएगी।

पूजा विधि

शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और अपने दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। एक चौकी पर साफ काले रंग का कपड़ा बिछाकर शनिदेव की प्रतिमा विराजमान करें। अब शनि देव की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें। सरसों के तेल का दीपक जलाकर आरती करें। प्रभु के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद मिठाई या इमरती का भोग लगाएं। शनि जयंती के अवसर पर भगवान हनुमान जी की पूजा-अर्चना करना भी उत्तम माना जाता है। इसलिए शनि देव की उपासना के साथ बजरंगबली की पूजा भी विधिपूर्वक करें। इस दिन आप “नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |” तथा “चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||” मंत्रों का जप कर सकते हैं।

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