Som Pradosh Vrat 2024 : प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव को समर्पित कुछ मंत्रों का जाप करने से जीवन में हमेशा खुशियां रहती हैं (Wikimedia Commons) 
धर्म

20 मई को है हिंदू नववर्ष का पहला सोम प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

न्यूज़ग्राम डेस्क

Som Pradosh Vrat 2024: हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। यह हिंदू नववर्ष का पहला सोम प्रदोष व्रत है। शास्त्रों में, प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा संध्याकाल में करने का विधान बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से जातक के जीवन की सभी समस्या खत्म होती है और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव को समर्पित कुछ मंत्रों का जाप करने से जीवन में हमेशा खुशियां रहती हैं, तो आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई, 2024 दिन सोमवार दोपहर 03 बजकर 58 पर शुरू होगी। इस तिथि की समाप्ति अगले दिन यानी 21 मई, 2024 दिन मंगलवार शाम 05 बजकर 39 मिनट पर होगी। त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 20 मई को पड़ रहा है, जिसके कारण साल का पहला सोम प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा।

जरूर चढ़ाएं बेलपत्र

इस दिन शिव पूजन के दौरान बेलपत्र जरूर अर्पित करना चाहिए, क्योंकि बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन इसे चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसकी संख्या तीन या पांच होनी चाहिए, जो लोग ऐसा करते उन्हें महादेव की कृपा से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

माना जाता है कि जो लोग इस दिन भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करते हैं उनके सभी पापों का नाश होता है। (Wikimedia Commons)

इसके अलावा इस दिन उनका गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। इससे शिव जी बहुत प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि जो लोग इस दिन भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करते हैं उनके सभी पापों का नाश होता है। इसके साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

इस दिन पूजा करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को स्वच्छ और शुद्ध रखें। भगवान शिव को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें या "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। अंत में दीपदान करें और शिव और मां पार्वती की आरती करें। इस दिन आप रात्रि में फलाहार करें।

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