Vat Savitri Vrat 2024 : माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही जीवन में खुशियों आती है। (Wikimedia Commons) 
धर्म

कैसे शुरू हुआ वट सावित्री व्रत की परंपरा? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्त्व

इस दिन पर विशेष कर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है

न्यूज़ग्राम डेस्क

Vat Savitri Vrat 2024 : वट सावित्री व्रत जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन पर विशेष कर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही जीवन में खुशियों आती है।

वट सावित्री व्रत का पूजा मुहूर्त

वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर रखा जाता है। इस साल यह व्रत 6 जून, 2024 को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून की शाम को 5 बजकर 54 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 6 जून 2024 शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि होने के कारण इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा। वहीं इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा।

वट के वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और अंत में प्रणाम करके परिक्रमा पूर्ण करें। (Wikimedia Commons)

कैसे शुरू हुई ये परंपरा

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था और उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था। कहा जाता हैं कि उसी समय से वट सावित्री व्रत और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा शुरू हुई। वट सावित्री व्रत के दिन दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से यमराज देवता के साथ त्रिदेवों की भी कृपा प्राप्त होती है।

पूजा विधि

इस दिन महिलाएं प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद श्रृंगार करके तैयार हो जाएं। इसके साथ ही सभी पूजा की सामग्री को एकसाथ एकत्रित कर लें और सुंदर से थाली सजा लें। किसी वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें। फिर बरगद के वृक्ष की जड़ों में जल अर्पित करें और पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं। वट के वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और अंत में प्रणाम करके परिक्रमा पूर्ण करें। अब हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद पूजा संपन्न होने पर ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों करें। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दिन विधिवत पूजन करने से महिलाओं अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।

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