करवा चौथ:- कहते हैं कि करवा चौथ का त्योहार हर एक सुहागन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।[Wikimedia Commons] 
धर्म

क्यों मनाते हैं करवा चौथ?

करवा चौथ के व्रत में शाम के समय सभी विवाहित स्त्रियां एक साथ करवा की कथा सुनती हैं और अपने पति की लंबे उम्र की कामना करती हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Sarita Prasad

कहते हैं कि करवा चौथ का त्योहार हर एक सुहागन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस वर्ष यानी 2023 में 1 नवंबर को करवा चौथ का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस दिन सभी सुहागन पत्नियां अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं और अपने पति के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। करवा चौथ के व्रत मैं काफी नियम का पालन करना पड़ता है। सभी विवाहित स्त्रियां प्रातः काल 4:00 बजे ही सरगी लेने के बाद सीधे रात को चांद निकलने पर ही अपना व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ के व्रत में शाम के समय सभी विवाहित स्त्रियां एक साथ करवा की कथा सुनती हैं और अपने पति की लंबे उम्र की कामना करती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि करवा चौथ का व्रत क्यों मनाया जाता है तो चलिए आज हम विस्तार से आपको बताएंगे कि करवा चौथ मनाने के पीछे के कारण क्या थे?

करवा चौथ की कहानी

प्राचीन कथाओं के अनुसार करवा चौथ की परंपरा देवताओं के समय से ही चली आ रही हैं। एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया था और उसे युद्ध में देवताओं की हर होने लगी थी। इस दृश्य से भयभीत देवता ब्रह्मा देव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। कथा के अनुसार ब्रह्मदेव ने कहा कि संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनके विजय की कामना करनी चाहिए। ब्रह्मा देव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर इस युद्ध में देवताओं की जीत निश्चित हो जाएगी।

ब्रह्मदेव ने कहा कि संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए[Wikimedia Commons]

ब्रह्मा देव के सुझाव को सभी ने स्वीकार किया ब्रह्मा देव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हो गई। इस खुशखबरी को सुनकर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया उसे समय आकाश में चांद भी निकल आया था और इसलिए माना जाता है कि इसी दिन से करवा चौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई।

द्रौपदी ने भी रखा था व्रत

ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ की कथा सुनाते हुए कहा था की पूरी श्रद्धा और विविध पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं। श्री कृष्ण भगवान की आजा मां का द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था इस व्रत के प्रभाव से ही पांचो पांडव ने महाभारत में युद्ध में विजय पाई थी।

इस त्यौहार पर मिट्टी के बर्तन का विशेष महत्व माना गया है। [Wikimedia Commons]

आपको बता दें कि करवा चौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है कार्रवाई यानी की मिट्टी का बर्तन और चौथ यानी चतुर्थी। इस त्यौहार पर मिट्टी के बर्तन का विशेष महत्व माना गया है। सभी विवाहित महिलाएं साल भर इस त्यौहार का इंतजार करती हैं और इसकी सभी वीडियो को बड़े ही श्रद्धा भाव से पूरा करती हैं।

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