गेंदे और लेमनग्रास की सुगंध लेती महिलाएं IANS
Zara Hat Ke

देखिए कैसे इस गाँव से आने वाली बारूद की गंध गेंदे और लेमनग्रास की सुगंध में बदल गईं

पिछले दो-तीन वर्षों से ये इलाके फूल (Flower) और लेमनग्रास (Lemon Grass) की खुशबू से महक रहे हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

झारखंड (Jharkhand) की राजधानी से 35-40 किलोमीटर दूर खूंटी (Khunti) जिले की पहचान नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में थी। यहां जंगलों से सटे दर्जनों गांवों में बंदूकें रह-रहकर गरज उठती थीं और पूरी फिजा में फैली बारूदी गंध लोगों को दहशत में डाल देती थी। सुदूर इलाकों में अफीम (Opium) की खेती भी बड़े पैमाने पर होती थी। पर ये गुजरे दौर की बात है। पिछले दो-तीन वर्षों से ये इलाके फूल (Flower) और लेमनग्रास (Lemon Grass) की खुशबू से महक रहे हैं। इस साल पूरे जिले में 269 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में गेंदा फूल और तकरीबन 50 एकड़ में लेमनग्रास की खेती हुई।

सबसे खास बात यह है कि ज्यादातर गांवों में खुशहाली की इस खेती की अगुवाई महिला किसान कर रही हैं। अभी-अभी गुजरी दीपावली, काली पूजा, गोवर्धन पूजा और सोहराई में रांची, खूंटी, जमशेदपुर सहित कई शहरों में इनकी बगियों के फूल खूब बिके। अभी छठ पर्व की धूम है और इस मौके पर घाटों से लेकर घरों तक की सजावट के लिए यहां के फूलों की अच्छी डिमांड है। आगे गुरुपर्व, क्रिसमस, नव वर्ष जैसे आयोजनों की पूरी श्रृंखला है और शादी-विवाह का मौसम भी हैं, तो इन किसानों को पूरी उम्मीद हैं कि फूलों की बंपर बिक्री से अच्छी कमाई होगी। फूल की खेती के लिए बीज-पौधे उपलब्ध कराने से लेकर उत्पादित फसल को बाजार तक पहुंचाने में राज्य सरकार की एजेंसियां किसानों की मदद कर रही हैं।

झारखंड के बाजारों में पहले त्योहारी सीजन में फूलों की डिमांड पश्चिम बंगाल (West Bengal) से पूरी होती थी। अब चक्र उल्टा घूम गया है। पश्चिम बंगाल, बिहार और कर्नाटक के व्यवसायी अब यहां से फूल ले जाते हैं। अनुमान है कि इस साल यहां के किसान एक करोड़ से भी अधिक के फूलों का कारोबार करेंगे।

स्थानीय पत्रकार अजय शर्मा बताते हैं कि खूंटी में फूलों की खेती सबसे पहले हितूटोला की दो महिलाओं ने 2004 में शुरू की थी। उन्होंने लगभग दो एकड़ क्षेत्र में खेती की और इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। नक्सली आतंक का प्रभाव जैसे-जैसे कम होता गया, धीरे-धीरे बड़ी संख्या में महिलाएं फूलों की खेती के लिए प्रेरित हुईं। झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और स्वयंसेवी संस्था ने इसमें इनकी खूब मदद की। महिलाओं को फूल की खेती के तौर-तरीके बताये। उन्हें पौधे उपलब्ध कराये गये। महिलाओं ने खासा उत्साह दिखाया। इस साल खूंटी जिले के चार प्रखंडों खूंटी, मुरहू, तोरपा और अड़की के लगभग 45 गांवों में फूलों की खेती हुई। इसमें 1200 से भी ज्यादा महिलाएं लगी हैं। प्रदान नामक स्वयंसेवी संस्था ने इस साल गेंदा फूल के लगभग 17 लाख पौधे उपलब्ध कराये हैं। झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से इस साल तकरीबन 400 महिला किसान फूल की खेती से जुड़ी हैं।

लेमनग्रास

लक्ष्मी आजीविका सखी मंडल से जुड़ी लोआगड़ा गांव निवासी आरती देवी ने पिछले साल लगभग एक एकड़ जमीन पर फूल की खेती की थी। वह कहती हैं कि इसके पहले किसी भी फसल की खेती से हमारे पास इतने नगद पैसे नहीं आते थे।

खूंटी के उपायुक्त शशि रंजन का कहना है कि खूंटी प्रखंड की ये महिलाएं स्वरोजगार की मिसाल हैं। खूंटी के विभिन्न प्रखंडों में सखी मंडलों ने लगभग 260 एकड़ भूमि पर गेंदा फूल की खेती है। त्योहारी सीजन में फूलों की मांग बढ़ने से ग्रामीण महिलाओं का हौसला बढ़ा हैं।

बता दें कि 2535 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला खूंटी जिला 12 सितंबर 2007 को वजूद में आया था। जिला बनने के बाद यहां नक्सली हिंसा में डेढ़ सौ से ज्यादा लोग मारे गये हैं। माओवादियों के साथ-साथ पीएलएफआई (PLFI) नामक एक प्रतिबंधित आपराधिक गिरोह की हिंसा में हर साल दर्जनों हत्याएं होती हैं। पिछले कुछ वर्षों से हिंसा प्रभावित इस जिले की पहचान बदलने की कोशिश शिद्दत के साथ शुरू हुई। फूलों की खेती इसी बदलाव की एक बानगी हैं।

आईएएनएस/PT

जब न थे डॉक्टर या हॉस्पिटल, तब कैसे हुई थी प्लास्टिक सर्जरी?

आमिर की शादी और मियांदाद का छक्का: एक दिन, दो कहानियां !

क्या मध्य पूर्व (Middle East) में छिड़ने वाली है तीसरी बड़ी जंग ?

एक Sparrow Man की कहानी, जिनकी मेहनत से बचा हजारों गोरैयों का परिवार!

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपा है एक आदिवासी समाज!