पूरा मामला
अवधेश प्रसाद मूल रूप से नालंदा के निवासी हैं और पहले दिल्ली में मजदूरी करते थे। वे डायबिटीज़ (मधुमेह) के मरीज़ हैं और टूटा हुआ दायां पैर लेकर इलाज के लिए NMCH में भर्ती हुए थे। 17 मई की रात उन्हें बुखार था, जिसके बाद उन्हें ड्रिप दी गई। रात करीब दो बजे जब बुखार कम हुआ और वे सो गए, तभी अचानक उन्हें अपने सीने पर कुछ चलने का अहसास हुआ। देखा तो वहां चूहा था और उनका पैर खून से लथपथ हो चुका था। चूहा उनकी उंगलियों को कुतर चुका था।
NMCH के हड्डी विभाग के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने पुष्टि की है कि यह जख्म चूहे के काटने के ही हैं। डॉक्टर का कहना है कि मरीज के पैर में पट्टी बंधी थी, जिसे खोलकर कोई जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकता।
डॉक्टरों के अनुसार, अवधेश "डायबिटिक न्यूरोपैथी" नामक बीमारी से पीड़ित हैं, जिसमें मरीज के पैरों की संवेदना खत्म हो जाती है। इससे उन्हें चूहे द्वारा काटे जाने का पता ही नहीं चला।
अस्पताल प्रशासन की सफाई और कार्यवाही
NMCH की सुपरिटेंडेंट डॉ. रश्मि प्रसाद ने कहा कि घटना की जानकारी उन्हें 19 मई की सुबह अखबारों से मिली। उन्होंने जांच कमिटी गठित कर पेस्ट कंट्रोल शुरू कराया है और सफाई कर्मचारियों से जवाब मांगा है। हालांकि उन्होंने ये कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि “चूहे तो हर जगह होते हैं”|
मच्छरदानी चूहों के लिए नहीं बनी होती
घटना के बाद मरीजों को मच्छरदानी बांटी गई, पर दीवार में उसे टांगने की कोई व्यवस्था नहीं है। मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि चूहे तो असली समस्या हैं, मच्छरदानी से वह नहीं रुकेंगे।
पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई पहला मामला नहीं है। नवंबर 2024 में एक मृतक के शव से आंख ग़ायब हो गई थी, जिसे भी चूहे द्वारा कुतरने की आशंका जताई गई थी। उस समय भी जांच कमिटी बनी, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।
इस घटना के सामने आने के बाद बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एनडीए सरकार ने उनकी पिछली सरकार की मेहनत से सुधारी गई व्यवस्था को फिर से बर्बाद कर दिया है। वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जांच का आश्वासन दिया है।
निष्कर्ष:
राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार NMCH में इस तरह की घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या मरीज वाकई सुरक्षित हैं? क्या पेस्ट कंट्रोल और साफ-सफाई जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं अस्पतालों में प्राथमिकता नहीं हैं?