पवन सिंह: भोजपुरी सिनेमा का चेहरा और विवादों का साया Instagram
बिहार

चमक-धमक से राजनीति तक: जब स्टार गायक-अभिनेता कहते हैं “विकास”

बिहार चुनाव 2025 में कई भोजपुरी सितारे जनता के बीच "विकास" और "परिवर्तन" की बातें कर रहे हैं। मगर इन्हीं चेहरों के गीत, बयान और आपराधिक मामलों ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, क्या ऐसे चेहरे सच में जनता की सेवा कर पाएंगे?

Author : Bhavika Arora

  • कैसे भोजपुरी सिनेमा के स्टार नेता बनने की राह पर हैं।

  • उनके विवादित गाने, बयानों और मामलों की सच्चाई।

  • जनता का सवाल, क्या ग्लैमर और जिम्मेदारी साथ चल सकते हैं?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) का माहौल पहले से कहीं ज़्यादा फिल्मी हो गया है। भोजपुरी फिल्मों के सितारे अब चुनावी मंचों पर नज़र आ रहे हैं। भीड़ जुटती है, नारे लगते हैं, और मंच पर वही चेहरे अब "विकास" और "नई सोच" की बातें करते हैं, जो कभी अपने विवादों की वजह से सुर्खियों में रहते थे। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या ये स्टार उम्मीदवार, जिनका अतीत महिलाओं के प्रति अपमानजनक गानों और बयानों से भरा रहा है, जनता की उम्मीदों पर खरे उतर सकते हैं?

पवन सिंह (Pawan Singh)

बिहार स्टार कैंडिडेट्स 2025 की चर्चा में सबसे ऊपर नाम आता है पवन सिंह का। भोजपुरी फिल्मों के मशहूर गायक और अभिनेता पवन सिंह ने न सिर्फ फिल्मों से, बल्कि अपने विवादों से भी खूब ध्यान खींचा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पवन सिंह पर सात आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन से लेकर सड़क रैली में उपद्रव तक के मामले हैं। उनकी पत्नी ने भी उन पर घरेलू हिंसा (Domestic Violence) और उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। यही नहीं, पवन सिंह के कई भोजपुरी गानों के बोल इतने अश्लील (Vulgar) और महिला विरोधी हैं कि उन पर कई बार पाबंदी की मांग उठी।

अब यही पवन सिंह (Pawan Singh) चुनाव के मंच से कहते हैं कि वे "जनता की सेवा" करेंगे और "बिहार में विकास" लाएंगे। लेकिन जनता के मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि जो व्यक्ति अपने बोल और व्यवहार में मर्यादा नहीं रख सका, क्या वह समाज को नई दिशा दे सकता है?

दिनेश लाल यादव (Dinesh Lal Yadav) ‘निरहुआ’

भोजपुरी इंडस्ट्री (Bhojpuri Industry) के सुपरस्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ का नाम भी बिहार (Bihar) स्टार कैंडिडेट्स 2025 में चर्चा में है। निरहुआ ने सैकड़ों फिल्में की हैं और उनके कई गाने यूट्यूब (YouTube) पर करोड़ों बार देखे गए हैं। लेकिन इनकी लोकप्रियता के साथ-साथ उनके गानों और बयानों पर विवाद भी जुड़ा रहा है।

उनके कई गाने महिलाओं को नीचा दिखाने वाले और दोहरे अर्थों वाले रहे हैं। कई बार मंचों पर उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिससे आलोचना हुई। फिर भी, आज वही निरहुआ जनता से "महिलाओं के सम्मान" और "सुरक्षा" की बातें कर रहे हैं।

यह विरोधाभास बिहार की राजनीति का नया चेहरा बन गया है, जहां मंच पर "संस्कार" और "विकास" की बातें की जाती हैं, पर अतीत में वही चेहरे समाज को गुमराह करने वाली सामग्री से लोकप्रिय हुए।

दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’: गानों की लोकप्रियता से राजनीति तक

विवादित गाने और सार्वजनिक छवि का टकराव

बिहार कैंडिडेट्स के कई गाने यूट्यूब और सोशल मीडिया पर खूब चलते हैं। लेकिन इन गानों में अक्सर हिंसा, शराबखोरी, महिला विरोधी भाषा और अश्लील इशारों का इस्तेमाल किया जाता है।
इन कलाकारों के ऐसे गीत और वीडियो समाज के उस तबके पर असर डालते हैं जो उन्हें आदर्श मानता है। अब जब वही चेहरे राजनीति में आकर "संस्कार और विकास" की बातें कर रहे हैं, तो यह विरोधाभास और भी गहरा हो जाता है।

एक ओर उनके गाने महिलाओं को वस्तु की तरह पेश करते हैं, वहीं दूसरी ओर वे मंच से कहते हैं, “हम बिहार में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।” यह दोहरा रवैया जनता के बीच सवाल पैदा कर रहा है कि क्या ये नेता सच में बदलाव लाना चाहते हैं या सिर्फ प्रसिद्धि का फायदा उठाना।

कानून और मर्यादा की बात करने वाले खुद कानून के घेरे में

इन स्टार उम्मीदवारों की एक और बड़ी समस्या यह है कि कई पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। पवन सिंह जैसे नेता कानून व्यवस्था सुधारने की बात करते हैं, पर खुद कई बार कानूनी विवादों में फंसे रहे हैं। यही विरोधाभास जनता के मन में अविश्वास पैदा करता है।

जनता सोचने लगी है कि जो खुद अदालतों के चक्कर काट रहा है, वो कैसे कह सकता है कि "हम कानून-व्यवस्था सुधारेंगे"? बिहार (Bihar) में आज वोटर पहले से ज़्यादा जागरूक हैं और वे जानते हैं कि अब सिर्फ प्रसिद्धि या चेहरा ही काफी नहीं, बल्कि चरित्र और ईमानदारी भी ज़रूरी है।

निष्कर्ष

बिहार कैंडिडेट्स 2025 ने चुनाव को ग्लैमरस जरूर बना दिया है, लेकिन असली मुद्दा अब भी वही है, कौन नेता सच में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा? बिहार की जनता अब जान चुकी है कि विकास का वादा सिर्फ मंच से नहीं, चरित्र से पूरा होता है। बिहार को ऐसे नेता चाहिए जो रोशनी बिखेरें, न कि वह जो अपने ही अतीत की परछाइयों में खोए रहें। क्योंकि असली विकास तब होगा, जब नेता मंच पर नहीं, जनता के जीवन में बदलाव लाएंगे।

RH