परिवार में हुए विवाद की पूरी कहानी, शुरुआत से अंत तक
रोहिणी अचार्या के आरोप, उनके दर्द और सोशल मीडिया पर हुए खुलासे
कैसे यह मामला सामाजिक और राजनीतिक बहस में बदल गया
रोहिणी अचार्या (Rohini Acharya) विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब रोहिणी कुछ दिनों पहले पटना स्थित अपने मायके पहुंचीं। उन्होंने दावा किया कि घर के अंदर ही उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपमानित किया गया, धमकाया गया और यहां तक कि उन पर चप्पल उठाई गई। यह सब उनके अपने ही घर में हुआ, जहां वह सुरक्षित और सम्मानित महसूस करने की उम्मीद लेकर गई थीं। रोहिणी के अनुसार, इस पूरे विवाद के पीछे उनके भाई तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) के करीबियों का हाथ था। उन्होंने नाम लेकर कहा कि तेजस्वी के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव, उनके साथी रमीज़ और यहां तक कि तेजस्वी की पत्नी रैचेल ने भी उनके साथ बुरा व्यवहार किया। रोहिणी का कहना है कि उन्होंने उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर किया और ऐसी बातें कहीं जिसने उन्हें गहराई तक चोट पहुंचाई।
जब रोहिणी घर से निकलीं, वे भावनात्मक रूप से बहुत टूट चुकी थीं। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लगातार कई संदेश लिखे, जिनमें उन्होंने अपना दर्द खुलकर बताया। उन्होंने लिखा कि वे अपने ही घर से ‘अनाथ’ की तरह निकलीं। उन्होंने कहा कि उनके पिता को दी गई उनकी किडनी तक को गंदा कहा जा रहा है। वे बार-बार लिख रही थीं कि एक बेटी से हमेशा त्याग की उम्मीद क्यों की जाती है? यह बातें लोगों के दिल को इसलिए छू गईं क्योंकि रोहिणी ने हमेशा अपने पिता के लिए अपना जीवन दांव पर लगाया था।
रोहिणी अचार्या विवाद का सबसे दर्दनाक हिस्सा उनकी वही शिकायत है जो उनके दिल पर सबसे गहरी चोट बन गई, उनकी किडनी को लेकर लगाए गए आरोप। रोहिणी ने 2022 में अपने पिता लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) को किडनी दी थी। आज वही किडनी कुछ लोगों द्वारा ‘गंदी’, ‘पैसे के लिए दी गई’ या ‘राजनीतिक टिकट के लिए दी गई’ बताई जा रही है। यह सुनकर रोहिणी बेहद टूट गईं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता के लिए जीवन का बड़ा जोखिम लिया, लेकिन अब उसी के बदले उन्हें अपमान मिल रहा है। उन्होंने यह भी लिखा कि अगर बेटे घर में हैं, तो बेटियों को अत्यधिक बलिदान देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
रोहिणी ने बताया कि बहस के दौरान किसी ने उनसे कहा कि उन्हें अपने ससुराल वापस जाना चाहिए। यह टिप्पणी उनके लिए सबसे बड़ी चोट बनी। उन्होंने कहा कि हर बेटी का अपने मायके पर बराबर अधिकार होता है, चाहे वह शादीशुदा ही क्यों न हो। समाज में अक्सर यह धारणा होती है कि शादी के बाद लड़की का अपना घर बदल जाता है, लेकिन रोहिणी ने इसके खिलाफ मजबूती से आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि किसी के मायके को छोड़ना या वहां रहना उसकी मर्जी होनी चाहिए, मजबूरी नहीं।
जब मीडिया में यह खबर फैलने लगी कि रोहिणी ने अपने पूरे परिवार से नाता तोड़ लिया है, तब उन्होंने सामने आकर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपने भाई तेजस्वी से दूरी बनाई है, लेकिन उनके पिता लालू यादव, मां राबड़ी देवी और उनके बाकी भाई-बहन उनके साथ हैं। रोहिणी ने बताया कि जब वे घर से निकलीं, तो उनकी मां और पिता दोनों रो पड़े थे क्योंकि वे रोहिणी के दर्द को समझ रहे थे।
इस पूरे मामले में जब केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने रोहिणी का समर्थन किया, तो रोहिणी अचार्या विवाद एक बड़ा राजनीतिक रूप भी ले गया। चिराग ने कहा कि शादीशुदा बेटी का अपने मायके पर पूरा अधिकार होता है और यह सोचना कि बेटी शादी के बाद ‘पराया घर’ हो जाती है, पुरानी सोच है। उनके इस बयान ने पूरे विवाद को राजनीति की तरफ भी मोड़ दिया और इसे महिलाओं के अधिकारों से जोड़ दिया।
विवाद के बाद रोहिणी पटना (Patna) छोड़कर मुंबई चली गईं। उन्होंने कहा कि उनकी सास उनकी हालत से बहुत चिंतित हैं और उन्हें खुद भी कुछ समय चाहिए ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत हो सकें। मुंबई (Mumbai) जाते वक्त उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी कहा, वह सच है और वह किसी भी बात से पीछे नहीं हटेंगी। वे यह भी बोलीं कि उनका इरादा किसी को चोट पहुंचाने का नहीं था, लेकिन जो उनके साथ हुआ, वह बताना जरूरी था।
रोहिणी अचार्या विवाद सिर्फ एक पारिवारिक झगड़ा नहीं रहा। यह मुद्दा एक साथ कई परतों को छूता है, राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत।
राष्ट्र राजनीति में तेजस्वी यादव एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं। ऐसे में रोहिणी के आरोप उनकी छवि और RJD के अंदरूनी माहौल पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं। सामाजिक रूप से यह मामला महिलाओं के अधिकारों पर एक बड़ी बहस को जन्म देता है, क्या शादी के बाद बेटी का अपने मायके से अधिकार खत्म हो जाता है? और सबसे ज्यादा, यह एक बेटी की भावनात्मक कहानी है, जिसने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दी, लेकिन आज उसे ही अपमान का सामना करना पड़ रहा है।
रोहिणी अचार्या विवाद हमें एक गहरी बात समझाता है, कि परिवार, सम्मान और रिश्ते राजनीति से कहीं बड़े होते हैं। यह कहानी बताती है कि एक बेटी कितनी आसानी से चोट खा सकती है, चाहे वह किसी बड़े राजनीतिक परिवार से ही क्यों न हो। इस विवाद ने महिलाओं के अधिकार, पारिवारिक रिश्तों की जटिलता और सम्मान की जरूरत पर एक नई चर्चा छेड़ दी है।
RH