यह चुनाव बिहार की नई राजनीतिक दिशा तय कर सकता है। (AI)
बिहार

सारण में सियासी महाभारत ! दलबदल, परिवार और स्टार प्रचारकों ने बदला चुनावी खेल

सारण (Saran) का चुनाव (Elections) इस बार पूरी तरह बदलते समीकरणों, दलबदल, पारिवारिक प्रभाव और भोजपुरी सितारों के जलवे से भर गया है। यहां जनता जाति नहीं, बल्कि उम्मीदवारों की ईमानदारी और काम को देख रही है। यह चुनाव बिहार की नई राजनीतिक दिशा तय कर सकता है।

Priyanka Singh

सारण (Saran) जिला इन दिनों बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित केंद्र बन चुका है। 6 नवंबर को पहले चरण के मतदान में यहां की 10 सीटों पर चुनावी जंग चरम पर है। उम्मीदवारों की रणनीति, दलबदल, पारिवारिक प्रभाव और सुपरस्टार प्रचारकों की मौजूदगी ने इस बार के चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया है।

आपको बता दें 2020 के विधानसभा चुनाव (Elections) में सारण की 10 सीटों में से 7 सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था, जबकि एनडीए के खाते में केवल 3 सीटें आई थीं। लेकिन इस बार इसकी तस्वीर काफी बदली हुई है। कई पुराने नेता पार्टी बदल चुके हैं, जिससे वोटों का समीकरण पूरी तरह उलझ गया है, और अब जनता भी उम्मीदवारों को पुराने नजरिए से नहीं परख रहें हैं, बल्कि उनके काम और छवि के आधार पर उनको परख रही है।

बड़ी बात यह की सारण की राजनीति में प्रभुनाथ सिंह का परिवार हमेशा से प्रभावशाली रहा है, लेकिन इस बार वही परिवार पार्टी बदलकर चुनावी मैदान में है, जिससे की माहौल और भी रोचक हो गया है। दूसरी तरफ, इस बार का चुनाव प्रचार (Campaigning) में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की चमक भी जुड़ गई है। आपको बता दें की सुपरस्टार खेसारी लाल यादव जैसे चेहरे अब बिहार की राजनीतिक मंचों पर बहुत ही जोर शोर से जुट गए हैं।

इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव (Elections) में बनियापुर विधानसभा सीट पर मुकाबला सबसे दिलचस्प है। यहां प्रभुनाथ सिंह के भाई केदारनाथ सिंह भाजपा के टिकट पर उतरे हैं। आपको बता दें पहले वो राजद से विधायक रह चुके हैं, लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी बदलकर भाजपा के साथ हैं। उनका मकसद साफ है अपनी पारंपरिक पकड़ के दम पर सीट पलट देना। उसके बाद राजद ने भावनात्मक दांव खेलते हुए दिवंगत पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी को उम्मीदवार बनाया है, इसमें चौकाने वाली बात यह है की यह सीट राजपूत और यादव के मतदाताओं के समानता पर निर्भर करती है। लोगों का कहना है कि यहां निष्ठा और रिश्ते, दोनों की परीक्षा होगी।

आपको बता दें की परसा और छपरा की सीटें इस बार नए समीकरणों की वजह से चर्चा में हैं। परसा में पूर्व राजद विधायक छोटेलाल राय ने जदयू का दामन थाम लिया है। अब वो जदयू के टिकट पर चुनाव (Elections) लड़ रहे हैं। उसके बाद राजद ने उनके खिलाफ डॉ. करिश्मा राय को मैदान में उतारा है, जो पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती और तेज प्रताप यादव की पूर्व पत्नी ऐश्वर्या की चचेरी बहन हैं। यह सीट न सिर्फ राजनीतिक बल्कि पारिवारिक रिश्तों के उतार-चढ़ाव की भी गवाही दे रही है।

सुपरस्टार खेसारी लाल यादव जैसे चेहरे अब बिहार की राजनीतिक मंचों पर बहुत ही जोर शोर से जुट गए हैं।

अगर हम बात करेंगे छपरा सीट की तो छपरा सीट पर तो मुकाबला और भी ग्लैमरस हो गया है, क्योकि राजद ने तो यहां भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव को टिकट दिया है, और उनका सामना एनडीए की छोटी कुमारी से है। अब बड़ी बात यह की खेसारी की स्टार छवि और उनकी लोकप्रियता इस सीट को राज्य ही नहीं, बल्कि देशभर में सुर्खियों में ला रही है। इस विधानसभा सीट के भीड़ और प्रचार (Campaigning) वाले मामले में यह सीट अब तक की सबसे चर्चित बन गई है।

इस बार का मुकाबला मांझी विधानसभा सीट पर बेहद टक्कर वाला रहेगा। आपको बता दें की यहां से रणधीर सिंह, जो की प्रभुनाथ सिंह के बेटे हैं, वो अब जदयू के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में जोर शोर से जुटे हुए हैं। आपको बता दें की वो पहले राजद के टिकट पर उपचुनाव जीत चुके हैं, लेकिन अब वो नई पार्टी में आकर अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं। पिछले चुनाव में यह सीट भाकपा-माले के पास थी, इसलिए रणधीर सिंह के लिए यह "अग्निपरीक्षा" मानी जा रही है, और वो लगातार जनता के बीच जाकर यह संदेश दे रहे हैं कि "सारण का भविष्य विकास और स्थिरता में है।" इस सीट से जन सुराज पार्टी के वाईबी गिरी और निर्दलीय राणा प्रताप सिंह भी मुकाबले में हैं, जिससे यहां त्रिकोणीय टक्कर की संभावना की जा रही है।

सारण (Saran) का चुनाव इस बार केवल राजनीतिक दलों की टक्कर नहीं है, बल्कि यह चुनाव (Elections) जनता की सोच और नेताओं की निष्ठा की परीक्षा भी है। लोग इस बार इस बार के चुनाव में लोग जातीय समीकरण से आगे बढ़कर उम्मीदवारों की ईमानदारी और काम को अहमियत दे रहे हैं। बदलते चेहरों, दलबदल की राजनीति और पारिवारिक रिश्तों की उलझनों के बीच यह साफ दिख रहा है कि सारण की राजनीति अब एक नए मोड़ पर है। यहां का हर उम्मीदवार अपने तरीके से जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, कोई उम्मीदवार परिवार की भावनाओं के सहारे, तो कोई विकास की बातों से कर रहा है, और इसके बाद कोई स्टारडम के जलवे से जनता को प्रभावित करता है, यहां के हर उम्मीदवार का अलग तरीका है।

चुनाव इस बार केवल राजनीतिक दलों की टक्कर नहीं है, बल्कि यह चुनाव (Elections) जनता की सोच और नेताओं की निष्ठा की परीक्षा भी है।

इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव (Elections) का नतीजा चाहे जो भी हो, लेकिन सारण (Saran) का यह चुनाव बिहार की राजनीति के बदलते दौर का असली आईना जरूर बन गया है।

2 नवंबर: जानें इस दिन से जुड़ी कुछ खास घटनाएं

प्रशांत किशोर का आत्मविश्वास भरा दावा, “ या तो 150 या 10 से कम सीटें होगी हासिल”

अफ्रीका के ट्यूनीशिया में फसे झारखण्ड के 48 भारतीय मजदूर: दिल्ली की कंपनी ने भेजा था इन्हें विदेश

'20 साल से बिहार को बर्बाद कर रहे', पप्पू यादव का सीएम नीतीश के वीडियो संदेश पर पलटवार

अल्लू अर्जुन ने अपने छोटे भाई अल्लू सिरीश को दी सगाई की बधाई