Delhi Water Crisis : दिल्ली में पानी के बढ़ते संकट को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। (Wikimedia Commons) 
दिल्ली

दिल्ली में पानी की क़िल्लत को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों को दिया आदेश

अदालत ने हरियाणा से कहा है कि वह दिल्ली में पानी पहुंचाने की राह में बाधा न बने, बल्कि पानी पहुंचाने के लिए अपना पूरा सहयोग करें। हरियाणा सरकार की दलीलें खारिज करते हुए अदालत ने दिल्ली में बेरोकटोक पानी पहुंचाने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Delhi Water Crisis : दिल्लीवासियों के लिए एक नई खुश खबरी है। दरअसल, दिल्ली मे पानी के बढ़ते संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने हिमाचल प्रदेश को दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है। अदालत ने हरियाणा से कहा है कि वह दिल्ली में पानी पहुंचाने की राह में बाधा न बने, बल्कि पानी पहुंचाने के लिए अपना पूरा सहयोग करें। हरियाणा सरकार की दलीलें खारिज करते हुए अदालत ने दिल्ली में बेरोकटोक पानी पहुंचाने की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पानी की बर्बादी न हो, इस बात का भी खास ध्यान रखा जाए। इस फैसले के दौरान कोर्ट ने सोमवार तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

दिल्ली में पानी के बढ़ते संकट को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने सुनवाई की। ऐसे में दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अपर रिवर बोर्ड की राज्यों के साथ मीटिंग हुई, हिमाचल पानी देने को तैयार है, लेकिन हरियाणा आपत्ति जता रहा है।

हरियाणा सरकार नहीं है सहमत

दिल्ली की तरफ से वकील सिंघवी ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि ब्यास नदी का पानी हरियाणा की नहरों के ज़रिए भेजा जा सकता है। हिमाचल इसके लिए तैयार है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि जब हिमाचल प्रदेश ने सहमति दे दी है तो आप रास्ता क्यों नहीं दे सकते? इस पर हरियाणा के वकील ने कहा कि यह प्रस्ताव संभव नहीं है।

हिमाचल मानवता दिखाते हुए पानी देने के लिए मान गया है , सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पानी की बर्बादी न हो, इस बात का भी खास ध्यान रखा जाए। (Wikimedia Commons)

पानी पर नहीं होनी चाहिए राजनीति

दिल्ली सरकार ने कहा कि हिमाचल मानवता दिखाते हुए पानी देने के लिए मान गया है, लेकिन हरियाणा सरकार अनुमति नहीं दे रहा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ये कौन मॉनीटर करेगा कि हिमाचल ने अतिरिक्त पानी छोड़ा है या नहीं। इस पर हरियाणा ने कहा कि ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे पता चले कि हिमाचल ने कितना पानी छोड़ा है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि कल यह कहते हुए राजनीति नहीं होनी चाहिए कि हिमाचल पानी दे रहा है, लेकिन हरियाणा नहीं छोड़ रहा है। इस पर दिल्ली सरकार के वकील सिंघवी ने कहा कि हमने सिर्फ 1 महीने का समय मांगा था।

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