भारत की राजधानी दिल्ली आज घुट घुट कर खत्म होती हुई नजर आ रही है। हालांकि आज जो दिल्ली की हालत है वह तुरंत उत्पन्न होने वाली हालत नहीं थी सालों से प्रकृति ने कई अलर्ट दिल्ली को दिए लेकिन उन अलर्ट्स को नजर अंदाज कर दिल्ली आगे बढ़ती रही नतीजा यह हुआ कि आज दिल्ली घूंट रही है। चाहे वह मासूम हो या 80 साल का बुजुर्ग दिल्ली एनसीआर में हर आदमी इन दिनों हर दिन करीबन 10 सिगरेट पी रहा है जी हां यह यह बात थोड़ी अटपटी जरूर लगेगी लेकिन यह सच है। देश की राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में कुछ इस प्रकार गिरे हुए हैं कि चारों तरफ धुंध की चादर छाई हुई है और यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक की बात करें तो इसका स्तर सोमवार सुबह नोएडा में 616 तक पहुंच गया गुरुग्राम में 516 तो दिल्ली में 450 के पार। यानी दिल्ली एनसीआर में हालात यह हो गई है कि हर आदमी इतनी प्रदूषित हवा ग्रहण कर रहा है जो करीबन 10 से 12 सिगरेट पीने के बराबर है।
दिल्ली में AQI गंभीर श्रेणी में बना हुआ है दिल्ली एनसीआर में लोग हर साल नवंबर के महीने में प्रदूषण की मार् लते हैं सरकारी तमाम बड़े ऐलान करती हैं लेकिन जहरीले ढूंढ लोगों की सांसों पर भारी पड़ती है। इस साल भी दिल्ली में आग बुझाने वाली फायर ब्रिगेड प्रदूषण पर काबू पाने के लिए मैदान में उतारी गई है सड़कों पर तंग करो के जरिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है ताकि धूल नीचे बैठे और एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार सके लेकिन यह इंतजाम कारगर साबित नहीं हो पा रहा है।
दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के खराब होते हालात को देखते हुए जी आर ए पी का चौथा चरण लागू किया गया। इसमें दिल्ली में सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्यों और प्रदूषण फैलाने वाले ट्रैकों और चार पहिया कमर्शियल वाहनों की एंट्री पर बैन लगाने का आदेश जारी किया गया अन्य राज्यों से केवल सीएनजी इलेक्ट्रिक और bs6 मानकों का पालन करने वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत दी गई। इसके अलावा हाईवे सब को फ्लावर ओवर ब्रिज पावर ट्रांसमिशन लाइंस पाइपलाइन जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं में भी निर्माण और विध्वंस के कामों पर बना रहेगा। साथ ही दिल्ली एनसीआर की राज्य सरकारी और दिल्ली सरकार छठवीं से नवीन और 11वीं कक्षा की फिजिकल क्लासेस बंद करने पर फैसला ले रही है और ऑनलाइन मोड में क्लासेस चल रही है।
सफदरजंग अस्पताल के एक प्रमुख डॉक्टर नीरज गुप्ता ने कहा कि बुजुर्गों स्कूल जाने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं में सिर दर्द, चिंता, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं काफी बढ़ गई हैं। डॉक्टर ने बताया कि इस प्रदूषण के लिए गैस चैंबर तकनीक रूप से सही शब्द है जिसका इस्तेमाल हानिकारक गैसों की सांद्रता में वृद्धि के कारण किया गया है।
डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि उत्तरी कैरोलिना में स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि एक यूआई का उनकी मैथमेटिकल क्षमताओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है इस जहरीली हवा के संपर्क में आने से बचना ही एकमात्र उपाय है। क्योंकि इस प्रदूषण का प्रभाव इतना अधिक है की हर एक व्यक्ति चाहे वह बच्चा हो या 80 वर्ष का बूढ़ा व्यक्ति हर दिन करीबन 10 सिगरेट के बराबर प्रदूषण को अपने अंदर ग्रहण कर रहा है जो की काफी खतरनाक है।