भारत की आज़ादी के 15 साल बाद गोवा बना देश का हिस्सा  X
गोवा

भारत का वो राज्य, जो 19 दिसंबर को मनाता है आज़ादी का जश्न, जानिए क्या है ऑप्रेशन विजय की कहानी?

क्या आप जानते हैं, भारत में एक ऐसा भी राज्य है, जो 19 दिसंबर को आज़ादी का जश्न मनाता है और इस बात की इजाजत खुद भारत सरकार भी देती है। जब अंग्रेजों की गुलामी से भारत आज़ाद हुआ, तब एक राज्य भारत के नक़्शे में नहीं था। क्यों? क्योंकि ये राज्य ब्रिटिश शासन के कब्जे में था ही नहीं।

Author : न्यूज़ग्राम डेस्क
Reviewed By : Priyanka Singh

Summary

गोवा 15 अगस्त के साथ 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस भी मनाता है।

1961 में ऑपरेशन विजय के ज़रिए गोवा पुर्तगाली शासन से मुक्त हुआ।

यह आज़ादी भारतीय पहचान वापस मिलने का प्रतीक है

“हर ज़मीन की आज़ादी की तारीख़ एक जैसी नहीं होती, कुछ 15 अगस्त को मनाते हैं तो कुछ 19 दिसंबर को।” आज़ादी इस शब्द में ही एक सुकून है, ऐसा लगता है जैसे सांसे खुलकर चलने लगती हैं, दिल और मन हल्का हो जाता है और जमीन अपनी सी लगने लगती है। आज़ाद ख्यालात हों या देश सबको प्रिय है।

हम सब जानते हैं कि भारत 15 अगस्त 1947 को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। इसे हम अंग्रेजों से आज़ादी मिलने की ख़ुशी में जश्न की तरह मनाते हैं। देश को आज़ाद हुए 78 साल हो चुके हैं लेकिन क्या आप जानते हैं, भारत में एक ऐसा भी राज्य है, जो 19 दिसंबर को आज़ादी का जश्न मनाता है और इस बात की इजाजत खुद भारत सरकार भी देती है। लेकिन कैसे? आइये समझते हैं।

19 दिसंबर को आज़ादी का जश्न मनाने वाला राज्य

इस कहानी को जानने के लिए हमें इतिहास में पीछे चलना होगा। चलते हैं साल 1947 में। दरअसल, जब अंग्रेजों की गुलामी से भारत आज़ाद हुआ, तब एक राज्य भारत के नक़्शे में नहीं था। क्यों? क्योंकि ये राज्य ब्रिटिश शासन के कब्जे में था ही नहीं। हम बात गोवा (Goa) की कर रहे हैं जोकि पुर्तगालियों के कब्जे में था।

गोवा (Goa) को पुर्तगाल “ओवरसीज टेरिटरी” कहता था और उसने साफ़ कर दिया था कि वो किसी कीमत पर इस राज्य को भारत सरकार को नहीं सौंपेगा। हालांकि, भारत सरकार पूरी तरह से मन बनाकर बैठी थी कि वो पुर्तगालियों के चुंगल से गोवा को आज़ाद करवाकर ही दम लेगी।

भारत सरकार ने चलाया ऑपरेशन विजय

1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, तो उस समय की तत्कालीन सरकार ने पहले शांति और कूटनीति के जरिये इस समस्या का हल निकालने की कोशिश की। ताकि कोई खून खराबा ना हो। उस समय भारत नया-नया आज़ाद हुआ था और पंडित नेहरू ये नहीं चाहते थे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बिगड़े। साथ ही पश्चिम देशों से पुर्तगाल को पूरा सपोर्ट था, जिससे मामला 15 साल तक उलझा रहा, लेकिन कहते हैं ना कि सब्र की भी एक सीमा होती है।

जब बातचीत के सारे रास्ते बंद हो गए, तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सैन्य कार्रवाई का आदेश दिया। इस मिशन को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया और इसमें थलसेना, नौसेना और वायुसेना, तीनों ने मिलकर पुर्तगालियों पर आक्रमण कर दिया। 18 दिसंबर की सुबह आरंभ हुआ ये मिशन महज छत्तीस घंटे में समाप्त हुआ।

भारत के वीर सैनिकों ने गोवा (Goa), दमन और दीव को पुर्तगाल के कब्ज़े से मुक्त करा लिया। 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना के मेजर जनरल के.पी. कैंडेथ ने गोवा सचिवालय के सामने तिरंगा फहराया। हालांकि, दुखद बात ये भी रही कि इस ऑप्रेशन में देश के 22 जवान शहीद भी हुए।

पुर्तगाल ने कब गोवा पर कब्ज़ा किया?

स्कूली किताबों में ज्यादातर इसी बात का जिक्र है कि भारत पर अंग्रेजों यानी ब्रिटिशर्स ने 200 साल तक शासन किया। इस बात का बहुत कम जिक्र देखने को मिलता है कि अंग्रेजों के आलावा पुर्तगालियों का भी भारत पर दबदबा रहा है।

सन् 1510 में पुर्तगालियों ने गोवा पर कब्ज़ा किया था। पुर्तगाली जनरल अफ़ोंसो द अल्बुकर्क ने युसुफ़ आदिल शाह को हराकर इस राज्य को अपने नियंत्रण में लिया था। युसुफ़ आदिल शाह के बारे में बात करें तो वो बीजापुर (कर्नाटक) सल्तनत का संस्थापक और पहला सुल्तान था। उसने 1490 में बहमनी शासन से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बनाया और आदिलशाही वंश की नींव रखी

वहीं, गोवा (Goa) पर कब्ज़ा करने के बाद पुर्तगालियों ने इसे एशिया में मसाले और समुद्री व्यापार का ठिकाना बना लिया। वहां चर्च बनाया, ईसाई धर्म का प्रसार किया। इन सब चीजों से गोवा की पूरी पहचान ही बदल गई।

क्या 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता है?

ऊपर हमारा सवाल था कि भारत का एक राज्य अलग आज़ादी का जश्न मनाता है? तो क्या सच में गोवा 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता है? तो जवाब कुछ ऐसा है कि गोवा 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस तो मनाता ही है, साथ ही वो 19 दिसंबर को अपना विशेष “गोवा मुक्ति दिवस” भी मनाता है।

ये एक दिन सिर्फ और सिर्फ गोवा (Goa) का होता है। ये इस राज्य की आज़ादी का प्रतिक है, जो 15 साल के बाद मिली थी। गोवा की जो आज़ादी है, वो सिर्फ ज़मीन वापस मिलने की कहानी नहीं है बल्कि एक विदेशी शासन से निकलकर दोबारा भारतीय पहचान पाने वाला पल है।

(RH/ MK)