न्यूजग्राम हिंदी: शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले ने राज्यपाल, भारत के चुनाव आयोग और वर्तमान राज्य सरकार की भूमिका को उजागर कर दिया है। ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के बहुप्रतीक्षित फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, फैसले के मद्देनजर, अगर मौजूदा सरकार में कोई नैतिकता बची है, तो उसे तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए, जैसा कि मैंने अपना इस्तीफा जून 2022 में दिया था। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले ने तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshiyari) की भूमिका को भी उजागर कर दिया है और कैसे उन्होंने पद का दुरुपयोग किया गया।
ईसीआई पर, उन्होंने कहा कि यह एक 'दिव्य निकाय' नहीं है और यह दिवंगत बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) द्वारा स्थापित (शिवसेना) पार्टी का नाम-प्रतीक नहीं ले सकता है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के व्हिप (सुनील प्रभु) के फैसले और शिंदे गुट के व्हिप (भारत गोगावाले) को बरकरार रखा।
ठाकरे ने कहा, हम अब अध्यक्ष (राहुल नार्वेकर) से 16 विधायकों की अयोग्यता पर जल्द से जल्द फैसला लेने का अनुरोध करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सत्र बुलाया जाए (Wikimedia Commons)
वरिष्ठ नेता अनिल परब ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, अध्यक्ष को विधानमंडल का सत्र बुलाना चाहिए और शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता पर अपना फैसला सुनाना चाहिए और कहा कि यह सरकार जल्द ही गिर जाएगी।
इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता, सांसद संजय राउत ने कहा कि इसका मतलब है कि फैसले के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान अवैध शिंदे सरकार को नैतिक आधार पर तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
--आईएएनएस/PT