Odisha Jagannath Puri Temple :जगन्नाथ मंदिर के बाहरी दीवार पर पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार द्वार हैं। (Wikimedia Commons) 
ओडिशा

खोल दिए गए हैं जगन्नाथ धाम के चारों द्वार, जानिए क्या है इन चारों द्वार के महत्व

न्यूज़ग्राम डेस्क

Odisha Jagannath Puri Temple : जगन्नाथ धाम को धरती का बैकुंठ भी कहा जाता है। ये चारों धाम में से एक है। ओडिशा में बीजेपी सरकार के बनते ही उन्होंने लोगों से किया हुआ अपना बड़ा चुनावी वादा पूरा किया और जगन्नाथ धाम के चारों द्वार खुलवा दिए हैं। सीएम मोहन चरण माझी ने बुधवार को इसका ऐलान किया कि कोरोना महामारी के बाद से श्रद्धालुओं को एक ही द्वार से मंदिर में प्रवेश करना पड़ता था, जिससे उनको भीड़ और परेशानी होती थी। लेकिन अब भक्त सभी चार द्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के ये चार द्वार कौन से हैं और इन चार द्वार के पीछे का क्या कारण है?

जगन्नाथ मंदिर के बाहरी दीवार पर पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार द्वार हैं। पहले द्वार का नाम सिंहद्वार (शेर का द्वार), दूसरे द्वार का नाम व्याघ्र द्वार (बाघ का द्वार), तीसरे द्वार का नाम हस्ति द्वार (हाथी का द्वार) और चौथे द्वारा का नाम अश्व द्वार (घोड़े का द्वार) है। इन चारों को धर्म, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है।

चारों द्वार का महत्त्व

सिंह द्वार जगन्नाथ मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है। इस द्वार पर झुकी हुई मुद्रा में दो शेरों की प्रतिमाएं हैं। ऐसा माना जाता है कि इस द्वार से मंदिर में प्रवेश करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। दूसरा द्वार व्याघ्र द्वार है, जगन्नाथ मंदिर के इस प्रवेश द्वार पर बाघ की प्रतिमा है। यह हर पल धर्म के पालन करने की शिक्षा देता है। बाघ को इच्छा का प्रतीक भी माना जाता है। विशेष भक्त और संत इसी द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं।

पुरी के जगन्नाथ धाम मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं। (Wikimedia Commons)

हस्ति द्वार के दोनों तरफ हाथियों की प्रतिमाएं लगी हैं। हाथी को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। कहा जाता है कि मुगलों ने आक्रमण कर हाथी की इन मूर्तियों को क्षति-विकृत कर दिया था। बाद में इनकी मरम्मत कर मूर्तियों को मंदिर उत्तरी द्वार पर रख दिया गया। ये द्वार ऋषियों के प्रवेश के लिए है। अश्व द्वार के दोनों तरफ घोड़ों की मूर्तियां लगी हुई हैं। खास बात यह है कि घोड़ों की पीठ पर भगवान जगन्नाथ और बालभद्र युद्ध की महिमा में सवार हैं। इस द्वार को विजय के रूप में जाना जाता है।

तीसरी सीढ़ी पर न रखें कदम

पुरी के जगन्नाथ धाम मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं। ये सभी सीढ़ियां मानव जीवन की बाईस कमजोरियों का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना होता है। तीसरी सीढ़ी को यम शिला कहा जाता है। यदि इस पर पैर रख दिया तो समझो कि सारे पुण्य धुल गए और फिर बैकुंठ की जगह यमलोक जाना पड़ेगा। यही कारण है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर न रखने की सलाह दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इन सीढ़ियों पर कदम रखने से इंसान के भीतर की बुराइयां दूर हो जाती हैं।

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