Viral: भूमि अधिग्रहण का विरोध करती महिला को पंजाब पुलिस ने मारा थप्पड़(IANS)

 

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Viral: भूमि अधिग्रहण का विरोध करती महिला को पंजाब पुलिस ने मारा थप्पड़

पंजाब पुलिस(Punjab Police) के एक अधिकारी के गुरदासपुर जिले के एक गांव में एक अधेड़ महिला किसान को थप्पड़ मारते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूज़ग्राम हिंदी:  पंजाब पुलिस(Punjab Police) के एक अधिकारी के गुरदासपुर जिले के एक गांव में एक अधेड़ महिला किसान को थप्पड़ मारते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। रिपोटरें के अनुसार, किसान भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे, जिसमें क्षेत्र में राजमार्गों का निर्माण शामिल है।

भाजपा नेता जयवीर शेरगिल ने ट्विटर पर वीडियो साझा करते हुए कहा, पंजाब पुलिस अधिकारी द्वारा गुरदासपुर के एक गांव में एक महिला किसान को थप्पड़ मारने का शर्मनाक कृत्य। पंजाब पुलिस को इस व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

महिला के साथ कथित मारपीट को लेकर भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों द्वारा राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।

किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि के अपर्याप्त मुआवजे को लेकर कई शहरों में रेल पटरियों पर धरना दिया और रेल यातायात को अवरुद्ध कर दिया।

केएमएससी के प्रवक्ता गुरबचन सिंह चब्बा ने कहा कि किसान भूमि अधिग्रहण के संबंध में मुआवजे के मुद्दे पर विरोध कर रहे थे।

किसानों के समर्थन में उतरते हुए शिरोमणि अकाली दल ने किसानों पर 'दमन' की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। साथ ही महिला के साथ मारपीट की पूरी घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।



पार्टी के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने यहां जारी एक बयान में कहा, आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और उसके मुख्यमंत्री भगवंत मान, जिनके पास गृह मंत्रालय भी है, ने अपना असली चेहरा बेनकाब कर दिया है। विरोध करने वाले किसानों की शिकायत सुनने की बजाय इस किसान-विरोधी सरकार ने उन्हें पीटने और हिरासत में लेने और यहां तक कि महिलाओं और बुजुर्गों के साथ मारपीट करने का फैसला किया है।

इस बात पर जोर देते हुए कि किसी भी सरकार को इस तरह के तानाशाही तरीके से काम नहीं करना चाहिए, चीमा ने कहा, बेहतर होता कि मुख्यमंत्री किसानों को अपनी जमीन से बेदखल करने की बजाय किसानों को बुलाते और उनकी शिकायतें सुनते।

उन्होंने किसानों के साथ एकजुटता भी व्यक्त की और मांग की कि उन्हें सहानुभूतिपूर्वक सुना जाए।

--आईएएनएस/VS

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