इस दुकान की खास बात यह है कि यहां बनने वाला इत्र (Perfume) सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुबई, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों तक अपनी सुगंध फैला रही है। (AI)
राजस्‍थान

जयपुर का इत्र बना अंतरराष्ट्रीय ब्रांड, चार पीढ़ियों की मेहनत ने रचा इतिहास

राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर ( Jaipur ) सिर्फ अपने किले, महल और हवेलियों के लिए ही नहीं, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प और खुशबूदार इत्र (Perfume) के लिए भी जानी जाती है। जयपुर (Jaipur) के पुराने शहर स्थित त्रिपोलिया बाजार (Tripolia Bazaar) में एक ऐसी दुकान है जो बीते सौ वर्षों से खुशबू बिखेर रही है ‘डी आर अरोमा ’('DR Aroma') । इस दुकान की खास बात यह है कि यहां बनने वाला इत्र (Perfume) सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुबई, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों तक अपनी सुगंध फैला रही है।

Priyanka Singh

सौ साल पुरानी दुकान, अब चौथी पीढ़ी के हाथों में

इस दुकान की शुरुआत करीब 100 साल पहले रामस्वरूप नामक व्यक्ति ने की थी। वे उत्तर प्रदेश के कन्नौज ( Kannauj ) से इत्र बनाने की कला सीखकर जयपुर ( Jaipur ) आए थे। कन्नौज (Kannauj ) को इत्र (Perfume) की राजधानी कहा जाता है। रामस्वरूप ने जयपुर (Jaipur ) में अलग-अलग फूलों से इत्र (Perfume) बनाकर बाजार में बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी खुशबू लोगों को इतनी पसंद आई कि इत्र (Perfume) की यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती गई। आज यह दुकान लखन नामक युवक चला रहे हैं, जो रामस्वरूप के परपोते हैं। लखन का कहना है कि उन्होंने अपने दादा-परदादा से यह हुनर सीखा है और अब इसे आधुनिक तरीके से दुनिया तक पहुंचा रहे हैं।

₹20 से ₹20 लाख तक की इत्र की रेंज

डी आर अरोमा ('DR Aroma') में मिलने वाले इत्र (Perfume) और परफ्यूम की कीमत ₹20 से शुरू होती है और ₹20 लाख तक जाती है। यहां इत्र (Perfume) लीटर में तैयार किया जाता है, लेकिन ग्राहक आमतौर पर 10 से 20 ग्राम की बोतलें ही खरीदते हैं। खास बात यह है कि इतने कम ग्राम की बोतलें भी लाखों रुपये की होती हैं। लखन बताते हैं कि सबसे महंगे इत्र 'उद' (Oudh) के होते हैं, जिनकी मांग खाड़ी देशों और यूरोप में सबसे अधिक है। इनके ग्राहक आम तौर पर वीआईपी और विदेशी सैलानी होते हैं। हालांकि स्थानीय लोगों के लिए भी सस्ती और बजट फ्रेंडली वैरायटी मौजूद है।

इस दुकान पर कौन-कौन से इत्र होते हैं उपलब्ध ?

इस दुकान पर 100 से ज्यादा वैरायटी के इत्र (Perfume) और परफ्यूम मिलते हैं। इनकी कुछ प्रमुख खुशबुएँ हैं जैसे - गुलाब, चंदन, मोगरा, लीली, केवड़ा, खस, हीना, मुशकम्बर, शमामा, केसर और कस्तुरी। इनमें से कुछ प्राकृतिक होते हैं और कुछ सिंथेटिक यानी कृत्रिम विधि से तैयार किए जाते हैं। त्योहारों और शादियों के समय इनकी डिमांड सबसे ज्यादा रहती है।

सबसे महंगी वैरायटी है, 'उद'

लखन बताते हैं कि 'उद' (Oudh) नामक इत्र (Perfume) की अलग-अलग किस्में होती हैं, जैसे – व्हाइट उद( White Oudh), ब्लैक उद ( Black Oudh), डेनियल उद (Daniel Oudh), कम्बोडियन उद (Cambodian Oudh) और अफ्रीकन उद (African Oudh)। ये इत्र लाखों रुपये किलो में बिकते हैं और इनका उपयोग अमीर, शाही वर्ग या खास समारोहों में होता है। उद (Oudh) की लकड़ी से बनने वाले इत्र (Perfume) की खुशबू बहुत लंबे समय तक टिकती है और इसे प्राकृतिक तेलों के साथ विशेष प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है। इसे परफ्यूम इंडस्ट्री में 'लिक्विड गोल्ड' भी कहा जाता है।

डी आर अरोमा ('DR Aroma') में मिलने वाले इत्र (Perfume) और परफ्यूम की कीमत ₹20 से शुरू होती है और ₹20 लाख तक जाती है।

इत्र बनाने की प्रक्रिया

बहुत से लोग यह सोचते हैं कि इत्र (Perfume) की खुशबू बोतल में कैसे बंद हो जाती है? इसका जवाब भी लखन ने सरल शब्दों में दिया। इत्र (Perfume) बनाने की प्रक्रिया फूलों और सुगंधित लकड़ियों को उबालने से शुरू होती है। फूलों को विशेष कूकर में डालकर गर्म किया जाता है और फिर उसकी भाप से जो तरल पदार्थ (अत्तर) निकलता है, उसी को कुछ खास तत्वों के साथ मिलाकर इत्र (Perfume) बनाया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल और मेहनत भरी होती है। अच्छे क्वालिटी वाले इत्र (Perfume) को तैयार करने में कई किलो फूल और विशेष तकनीक लगती है, जो पीढ़ियों से सीखी और संभाली जाती है।

कन्नौज के सीक्रेट फॉर्मूले से बनते हैं इत्र

डी आर अरोमा ('DR Aroma') आज भी कन्नौज (Kannauj ) की पारंपरिक तकनीक और फॉर्मूले का इस्तेमाल करता है। यही वजह है कि इनका इत्र (Perfume) न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जाता है। लखन का कहना है कि हर इत्र (Perfume) की खुशबू के पीछे एक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक प्रक्रिया होती है, जिसमें प्रकृति की सुगंध को बोतल में कैद किया जाता है।

जयपुर में इत्र की संस्कृति

जयपुर ( Jaipur ) के त्रिपोलिया बाजार (Tripolia Bazaar) में स्थित इस दुकान की तरह कई अन्य पारंपरिक दुकानें भी इत्र (Perfume) बनाती हैं, लेकिन डी आर अरोमा ('DR Aroma') की बात ही कुछ और है। इसकी गुणवत्ता, खुशबू और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि इसे बाकी दुकानों से अलग बनाती है। इत्र (Perfume) सिर्फ एक परफ्यूम नहीं, बल्कि एक संस्कृति है – जो कन्नौज(Kannauj) से शुरू होकर जयपुर (Jaipur) की गलियों में महक रही है। चार पीढ़ियों की मेहनत, परंपरा और खुशबू आज अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपना नाम बना रही है। [Rh/PS]

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