West Bengal Train Accident : पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में एक मालगाड़ी और सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस आपस में भिड़ गई। इस घटना के बारे में बताया जा रहा है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मारी, जिसके बाद ट्रेन की बोगियां कई फीट हवा में उछल गईं। इस हादसे में अब तक 9 लोगों के मारे जाने की खबर है। पिछले साल ओडिशा में हुए रेल हादसे की तरह ही इस बार भी एक ट्रैक पर दो गाड़ियों के आने से ये हादसा हुआ है, तो आइए जानते हैं कि आखिर रेलवे का ये सिस्टम कैसे काम करता है और किस प्रकार एक ट्रैक पर दो ट्रेनों को आने से रोका जाता है।
एक ट्रैक पर दो ट्रेन भिड़ने से होने वाले हादसों का मुख्य कारण सिग्नल फॉल्ट या इंलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज है। रेलवे में हर ट्रेन और उसके रुट के हिसाब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम सेट होता है, जिसकी वजह से हर ट्रेन अलग ट्रैक पर होती है और दुर्घटना की कोई संभावना नहीं होती है।
रेलवे ट्रेक में इलेक्ट्रिकल सर्किट इंस्टॉल लगाए जाते हैं और जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है तो इस सर्किट के सहायता से ट्रेन के आने का पता चलता है। इसके साथ ही ट्रैक सर्किट इसकी जानकारी आगे फॉरवर्ड करता है और इसके आधार पर ईआईसी कंट्रोल सिग्नल आदि को कंट्रोल करता है। इसके साथ ही इस जानकारी के आधार पर ये सूचना दी जाती है कि अब ट्रेन को किस तरफ जाना है।
आपको बता दें कि अब कंट्रोल रुम के माध्यम से ही ट्रेन के रुट को तय कर दिया जाता है। लेकिन, कई बार टेक्निकल कारणों से या फिर मानवीय गलती के कारण ट्रैक चेंज नहीं हो पाता है और ट्रेन तय रुट से अलग ट्रैक पर चली जाती है। इसका अंजाम ये होता है कि वो ट्रेन उस ट्रैक पर आ रही ट्रेन से टकरा जाती है।
आपको बता दें कि दो पटरियों के बीच एक स्विच होता है, जिसकी सहायता से दोनों पटरियां एक दूसरे से जुड़ी हुई होती हैं। ऐसे में जब ट्रेन के ट्रैक को बदलना होता है तो कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी कमांड मिलने के बाद पटरियों पर लगें दोनों स्विच ट्रेन की मूवमेंट को राइट और लेफ्ट की तरफ मोड़ते हैं और पटरियां चेंज हो जाती हैं।