भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले ओजस्वी, निडर, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की आज 100 वीं पुण्यतिथि है। तिलक जी के निधन पर खुद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि हमने आधुनिक भारत का निर्माता खो दिया है। तिलक ही पहले ऐसे कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने की मांग की थी।
बालगंगाधर तिलक अपने विचारों की अभिव्यक्ति और प्रचार के लिए केसरी को ही अपना साधन समझते थे और उसके अधिकाधिक प्रचार प्रसार और विस्तार के लिए प्रयत्नशील रहते थे। केसरी एक ऐसा समाचार पत्र था जो जन साधारण की पहुँच में था और इसकी भाषा शैली, सीधी, सरल और स्पष्ट थी।
संक्षेप में जानें, बाल गंगाधर तिलक के पत्रकारिता के उद्देश्य
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एक पत्रकार, नेता व क्रांतिकारी होने के साथ साथ उन्हें वेद,उपनिषद, गीता एवं अन्य ग्रंथो का भी ज्ञान था।