भारत का सनातन धर्म(Eternal Religion) पुरे विश्व भर में कितना प्रचलित ही यह बात किसी से छिपी नहीं है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारत(India) के सनातन धर्म की तर्ज पर प्रकृति पूजा की प्रथा कायम है। हमारे देश में लोग जैसे हिन्दू देवी-देवताओं के साथ सूर्य, चन्द्रमा, जल और पृथ्वी की पूजा करते हैं वैसे ही विश्व के विभिन्न हिस्सों और प्राचीन स्थानों पर लोग प्रकृति के विभिन्न आयामों की पूजा करते हैं। ऐसा ही एक जीता-जागता उदहारण मिस्त्र में देखने को मिला।
मिस्त्र में लोगों ने 4500 हज़ार साल पुराना प्राचीन सूर्य मंदिर(Sun Temple) खोज निकाला है। मान्यता है की यह मंदिर मिस्त्र के राजाओं द्वारा बनवाये गए थे और उनके द्वारा इन मंदिरों में पूजा भी की जाती थी। फिलहाल खोजकर्ताओं ने ऐसे ही 6 मंदिरों की खोज की है लकिन अवशेष और साबुत एक से प्राप्त हुए हैं। इस बात से यह चीज़ तो स्पष्ट है की मिस्त्र के लोग सूर्य की आराधना करते थे।
खबर के मुताबिक यह मंदिर मिस्त्र(Egypt) की राजधानी काहिरा(Cairo) के दक्षिण में स्थित अबु गोराब में मिला है। कुछ पुरातत्वविदों ने मिस्र की राजधानी काहिरा के दक्षिण में स्थित अबु गोराब में सूर्य मंदिर के प्राचीन अवशेषों का पता लगाया है। इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में इसे एक अभूतपूर्व और असाधारण खोज माना जा रहा है।
एक अंदाज़े के मुताबिक यह मंदिर 4500 हज़ार पुराना है। (Twitter)
इस मंदिर की खोज के बाद दुनिया भर में इसके चर्चे सुनाई देने लगे हैं। पुरातत्विदों के मुताबिक यह मंदिर फ़राओ न्यूसिरी इनी(Pharaoh Nusiri Ini) ने बनवाया था जोकि मिस्त्र के पांचवे साम्राज्य के फ़राओ थे। उन्होंने ईसा पूर्व 25वीं शताब्दी में 30 साल तक राज किया था। पुरातत्विदों को और बारीकी से अध्ययन करने पर पता चला की मिस्त्र में और ज़्यादा सूर्य मंदिर हैं और इन्हे खोजने का काम शुरू हो चूका है। एक मंदिर तो ज़मीन में उभरा हुआ मिला हुआ था।
इन मंदिरों को मनवाने के पीछे राजाओं की यह मानसिकता थी की वे चाहते थे की लोग उन्हें भगवान् की तरह देखे। जिस फ़राओ के काल में यह मंदिर बनाया गया तब उन्होंने कई पिरामिड भी बनवाए। वे चाहते थे की उनकी मृत्यु के बाद उन्हें यहां दफनाया जाए जिसके बाद वे मिस्त्र के देवी-देवताओं के सामान हो जाएंगे और मृत्यु के बाद उसी रौब के साथ दुनिया पर राज करेंगे।
Input-Various Source ; Edited By- Saksham Nagar