“दूसरों के लिए जिया गया जीवन ही सार्थक जीवन है”

“दूसरों के लिए जिया गया जीवन ही सार्थक जीवन है”
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अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था दूसरों के लिए जिया गया जीवन ही सार्थक जीवन है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे चिकिस्तक हैं। प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को, राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस या "Doctors Day" के रूप में मनाया जाता है। यह दिन चिकित्सा के क्षेत्र में उन सभी कार्यकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है, जो बिना शर्त और निस्वार्थ भाव से जरूरत के समय हमारी मदद कर रहे हैं। दिन – रात हमारी सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं। 

इससे जुड़ा इतिहास क्या है? 

1 जुलाई को डॉ बिधान चन्द्र रॉय (Dr. Bidhan Chandra Roy) की याद में राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस (Doctors Day) मनाया जाता है। जिनकी जयंती और पुण्यतिथि एक ही तिथि पर होती है। पहली बार राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस (Doctors Day) 1991 में मनाया गया था। यह दिन दुनिया में अलग – अलग तारीखों पर भी मनाया जाता है। डॉ. रॉय ने जादवपुर टीबी अस्पताल, चित्तरंजन सेवा सदन, विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन (कॉलेज), चित्तरंजन कैंसर अस्पताल और महिलाओं और बच्चों के लिए चित्तरंजन सेवा सदन जैसे चिकित्सा संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है| उन्हें भारत के उपमहाद्वीप में पहले चिकित्सा सलाहकार के रूप में भी जाना जाता था। उन्हें उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 1961 को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। 

हमें सभी चिकित्सकों का धन्यवाद करना चाहिए जो हमें स्वस्थ और जोखिम मुक्त जीवन जीने का अवसर देते हैं। (Pixabay)

चिकिस्ता दिवस (Doctors Day) का दिन जनता में चिकिस्तकों और उनकी भूमिकाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी मनाया जाता है। हम सभी जानते हैं कि कोरोना की इस मुश्किल घड़ी में जहां एक समय के बाद लगभग सब ने हार मान ली, वहीं हमारे डॉक्टर्स और सभी कार्यकर्ता बिना हारे और अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना जैसे भयानक बीमारी से लड़ रहे हैं। 

लेकिन जहां एक तरह देश के तमाम डॉक्टर निस्वार्थ अपनी सेवा देने में व्यस्त हैं वहीं देश में कुछ ऐसे अराजक तत्व भी मौजूद हैं जो चिकित्सकों पर हमला करने से चूकते नहीं हैं। कई बार ऐसी खबरें भी सुनने को मिलती है कि कोरोना जांच करने वाली टीम पर पथराव किया गया। उन पर हमला किया गया। हम सभी को यह समझना होगा कि महामारी को केवल वैक्सीन लगा और अपना और सभी का ध्यान रख कर ही मात दिया जा सकता है। डॉक्टर भरसक प्रयास कर रहे हैं कि सभी का टीकाकरण हो सके। ऐसे में इस तरह के हमले और व्यवहार करना बिल्कुल ग़लत है। 

हमारे देश मे तो डॉक्टर्स को भगवान तक का दर्जा दिया गया है। ऐसे में इस मुश्किल घड़ी में हमें उन पर हमला करने की बजाय अपने चिकित्सकों का आभार प्रकट करना चाहिए। जिन्होंने अपना सारा जीवन ही दूसरों की सेवा करने में लगा दिया है। हमें सभी चिकित्सकों का धन्यवाद करना चाहिए जो हमें स्वस्थ और जोखिम मुक्त जीवन जीने का अवसर देते हैं। (SM) 

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