गौशाला में पढ़ाई कर दूधवाले की बेटी ने क्रैक की ज्यूडिशियल सर्विस की परीक्षा

गौशाला में पढ़ाई कर दूधवाले की बेटी ने क्रैक की ज्यूडिशियल सर्विस की परीक्षा
Published on
3 min read

By: अर्चना शर्मा

धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ कुछ भी हासिल किया जा सकता है, इसकी मिसाल पेश की है एक ऐसी लड़की ने जिसने गौशाला में पढ़ाई कर बीए, एलएलबी और उसके बाद एलएलएम में टॉपर का स्थान प्राप्त किया और वह जल्द ही न्यायाधीश बनने वाली है, क्योंकि उसने राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस एग्जामिनेशन क्रैक कर लिया है।

हालांकि यह अविश्वसनीय लगता है, लेकिन यह सच है। उदयपुर की सोनल शर्मा (26), जो एक दूधवाले की बेटी है, उसने खाली तेल के डिब्बे से बने टेबल पर गौशाला में पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया है। वह अब राजस्थान में सेशन कोर्ट में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात होगी।

सोनल जब 10 साल की थी, तभी से वह हर दिन भोर में 4 बजे उठकर गौशाला की सफाई करने, पिता के साथ दूध वितरित करने में मदद करती थी। हालांकि, बीच-बीच में वह अपने स्कूल और फिर कॉलेज भी जाती थी, जहां से वह लाइब्रेरी जाती थी और पढ़ाई के लिए विस्तृत नोट्स बनाती थी, क्योंकि न्यायिक परीक्षाओं के लिए कोचिंग लेना उनके लिए कभी न पूरा होने वाला सपने जैसा था।

यहां तक कि अपनी न्यायपालिका परीक्षा के लिए पढ़ाई करते हुए भी वह उदयपुर के प्रताप नगर इलाके में अपने पिता की डेयरी में मदद करती रही।

हालांकि, 23 दिसंबर को सोनल को राजस्थान न्यायिक सेवा में चयन के संबंध में अधिसूचना के रूप में अपने जीवन का सबसे अच्छा उपहार मिला।

सोनल शर्मा अपने पुरस्कारों के साथ।(आईएएनएस)

अधिसूचना को लेकर सोनल ने कहा, "मैं हमेशा न्यायाधीश बनना चाहती थी, क्योंकि मैं न्याय को एक पुरस्कृत नौकरी के रूप में मानती हूं। मैंने बचपन से गरीबी देखी है और गरीबों के सामने आने वाली चुनौतियों से अवगत हूं। इसलिए मुझे विश्वास है कि मैं ईमानदारी के साथ अपनी नौकरी कर सकूंगी।"

सोनल को जोधपुर में न्यायिक अकादमी में एक साल के प्रशिक्षण के बाद सेशन कोर्ट में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया जाएगा।

उन्होंने कहा, "शुरू में मुझे अपने पिता के पेशे के बारे में बताने को लेकर शर्म महसूस होती थी। हालांकि, आज मुझे उनके साथ-साथ अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर भी गर्व है।"

सोनल को कई वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा और इसलिए उन्होंने अपने दम पर परीक्षा की तैयारी की और रोजाना 10-12 घंटे पढ़ाई की।

वह कहती हैं कि उनका ध्यान कभी भी उनके लक्ष्य से नहीं हटा। उन्होंने कहा, "मैंने कभी भी किसी सोशल मीडिया साइट पर लॉग इन नहीं किया है, क्योंकि मुझे अपना लक्ष्य पाने पर फोकस करना था।"

आरजेएस 2018 परीक्षा के लिए उपस्थित होने के बाद वह जनरल कट-ऑफ सूची से सिर्फ एक अंक से चूक गई और प्रतीक्षा सूची में थी।

सोनल कहती हैं, "सिर्फ एक अंक से नाकाम होने से मैं उदास हो गई, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि जिन सात उम्मीदवारों ने आरजेएस की परीक्षा दी थी, उन्होंने ज्वॉइन नहीं किया। बाद में उन्होंने वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों को सात रिक्त सीटों पर नियुक्त करने के लिए सितंबर 2020 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की।"

23 दिसंबर को हाईकोर्ट से अधिसूचना मिलने के बाद उनका इंतजार खत्म हो गया।

सोनल ने 12वीं कक्षा की सीबीएसई परीक्षा में अर्थशास्त्र में राज्य में टॉप किया था और वह हिंदी में पूरे भारत में टॉपर थी।

सोनल के पिता।(आईएएनएस)

मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने के बाद उन्होंने अपनी बीए, एलएलबी और एलएलएम परीक्षा में टॉप किया और 22 दिसंबर को आयोजित दीक्षांत समारोह में दो स्वर्ण पदक और चांसलर का पदक प्राप्त किया।

सोनल भाई बहनों में दूसरे नंबर पर है। उनके पिता ख्याली लाल शर्मा ने कहा, "मेरे दोस्त मुझे सलाह देते थे कि बेटियों को शिक्षित करने की कोई जरूरत नहीं है और उनकी शादी कर दी जानी चाहिए। हालांकि, माता-पिता को अपने बच्चों का समर्थन करना चाहिए। हमें सोनल पर गर्व है।"

सोनल का लक्ष्य अब अपने माता-पिता को एक आरामदायक जीवन प्रदान करना है।

उन्होंने कहा, "मेरे पिता ने हमें एक अच्छा जीवन और शिक्षा देने के लिए वर्षों से कड़ी मेहनत की है और यहां तक कि हमारी शिक्षा के लिए ऋण भी लिया है। हमने उन्हें सुबह 4 बजे जागने और आधी रात के आसपास सोते हुए देखा है। इसलिए अब मेरे माता-पिता की देखभाल करने की बारी मेरी है।"(आईएएनएस)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com