अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

रिपब्लिक टीवी के संपादक पत्रकार अर्नब गोस्वामी। (Wikimedia Commons)
रिपब्लिक टीवी के संपादक पत्रकार अर्नब गोस्वामी। (Wikimedia Commons)

रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अर्नब गोस्वामी और अन्य सह-आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। गोस्वामी को साल 2018 के इंटीरियर डिजाइनर (वास्तुकार) अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में 4 नवंबर को न्यायिक हिरासत में लिया गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह गहरी चिंताजनक बात है कि अगर अदालतें मानवीय स्वतंत्रता को संरक्षित नहीं करती हैं और यदि संवैधानिक अदालतें स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करती हैं, तो कौन करेगा? न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर किसी को टीवी चैनल पसंद नहीं है तो उस व्यक्ति को इसे नहीं देखना चाहिए।अर्नब और दो अन्य को इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के सिलसिले में पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था।

पीठ ने अर्नब की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि पीड़ित निष्पक्ष जांच का हकदार है और जांच आगे बढ़नी चाहिए, लेकिन अगर राज्य इस आधार पर व्यक्तियों को निशाना बनाता है तो एक मजबूत संदेश जाना चाहिए।

एक तरफ चंद्रचूड़ दूसरी तरफ कपिल सिब्बल

चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र सरकार के वकील से कहा, "हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से मजबूत है। बात यह है कि सरकार इस पर ध्यान नहीं देती। प्रधान न्यायाधीश ने बहुत महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने कहा है कि हम सभी पक्षों से जिम्मेदारी की उम्मीद करते हैं।"

पीठ ने कहा कि अर्नब को जांच में सहयोग करना चाहिए और आरोपियों की रिहाई में देरी नहीं होनी चाहिए। अदालत ने उन्हें 50,000 रुपये के बांड प्रस्तुत करने को भी कहा।

अर्नब ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने उनकी अंतरिम जमानत पर विचार करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा, "अगर संवैधानिक अदालतें हस्तक्षेप नहीं करती हैं, तो हम विनाश के रास्ते पर यात्रा कर रहे हैं।"अर्नब का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत के समक्ष कहा, "क्या अर्नब गोस्वामी आतंकवादी हैं? क्या उन पर हत्या का आरोप है? उन्हें जमानत क्यों नहीं दी जा सकती है?"

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने महाराष्ट्र पुलिस और वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह ने पीड़ित परिवार का प्रतिनिधित्व किया।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सह आरोपी नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख की अंतरिम रिहाई की भी अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत देने के लिए आवेदन को खारिज कर हाईकोर्ट ने त्रुटि की है। (आईएएनएस)

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