बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं:मिया सेप्पो

दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ हमलों से देश विदेश हर जगह लोग स्तब्ध हैं।
दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ हमलों से देश विदेश हर जगह लोग स्तब्ध हैं।
Published on
3 min read

दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ उन्मादी हमलों से देश विदेश हर जगह लोग स्तब्ध हैं। संयुक्त राष्ट्र से लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल तक के सदस्यों ने चिंता जताई है। ऐसे में बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील छवि वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना पर गंभीर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बन गया है।

हिन्दुओं पर इसे हमले पर भारत के लोगों में भी आक्रोश है। दोनों पडोसी देशों के बीच के सालों से चले आ रहे आपसी संबंधों को ठेस पहुंची है।

प्रधानमंत्री शेख हसीना से जल्द से जल्द अब धर्मनिरपेक्ष न्याय की उम्मीद की जा रही है। अगर ऐसा नहीं होता है तो सदियों से लोगों के बीच व्याप्त शक्तिशाली भावनात्मक जुड़ाव पर गंभीर रूप से नकारात्मक असर पड़ सकता है।

जिस तरह से बांग्लादेश में भयंकर रक्तपात और वैश्विक मानवाधिकारों का हनन हुआ है ,हसीना प्रशासन को मुख्य दोषियों को जल्दी से पकड़ना चाहिए और कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। खासतौर पर कमिला में जो हुआ वह सबसे अधिक शर्मसार कर देने वाली घटना है। उसके दोषियों को सजा मिलनी जरूरी है जो हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केंद्र रहा है।

इस भारी नरसंहार ने संयुक्त राष्ट्र को बढ़ते सांप्रदायिक हिंसा पर गंभीरता से ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है।

बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर मिया सेप्पो ने सोमवार को सरकार से अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की मांग की।

उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "हाल ही में सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान के कारण बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं और इसे रोकने की जरूरत है। हम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आहवान करते हैं। हम सभी से समावेशी सहिष्णु बांग्लादेश को मजबूत करने के लिए हाथ मिलाने का आहवान करते हैं।"

वैश्विक मानवाधिकार प्रहरी एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी बांग्लादेशी सरकार को चेताया है की इस सांप्रदायिक तनाव को तत्काल समाप्त करें।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए हमले के पीछे मुस्लिम व्यक्ति का हाथ।(VOA)

एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया प्रचारक साद हम्मादी ने हिंदू समुदाय के खिलाफ हमलों को लेकर बांग्लादेश को फटकार लगते हुए कहा, "देश के सबसे बड़े हिंदू त्योहार के दौरान हिंदू समुदाय के सदस्यों, उनके घरों, मंदिरों और पूजा पंडालों के खिलाफ गुस्साई भीड़ द्वारा हमलों की रिपोर्ट देश में बढ़ती अल्पसंख्यक विरोधी भावना को दर्शाती है। बांग्लादेश में पिछले कुछ वर्षों में व्यक्तियों के खिलाफ इस तरह के बार-बार हमले, सांप्रदायिक हिंसा और अल्पसंख्यकों के घरों तथा पूजा स्थलों को नष्ट करने से पता चलता है कि राष्ट्र अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहा है।"

हम्मादी ने मानवाधिकारों की बात करते हुए कहा की सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए धार्मिक संवेदनाओं को निशाना बनाना गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन है और देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को दूर करने के लिए सरकार की ओर से तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।

देश में हुए इस हिंदू-विरोधी हिंसा के नतीजों ने हसीना की धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील छवि पर काफी गहरा असर डाला है। कहा जा है की बांग्लादेश भी अब पाकिस्तान की तरह हिन्दू विरोधी बनता जा रहा है। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की मानवविरोधी और कट्टरपंथी सोच ने पहले से ही उनके देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लोगों के दिमाग में काफी जहर भरा है।

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री को इस सांप्रदायिक हिंसा को जड़ ख़त्म करने के लिए आतंकवाद पर भी ध्यान देना पड़ेगा। शेख हसीना की प्रतिक्रिया बहुस्तरीय होनी चाहिए जिससे वैश्विक आतंकवाद को पूरी तरह से मिटाने में संयुक्त राष्ट्र को भी मदद मिले।

Input: India Narrative; Edited By: Manisha Singh

न्यूज़ग्राम के साथ Facebook, Twitter और Instagram पर भी जुड़ें!

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com