बिरसा मुंडा: भारतीय इतिहास के वो क्रांतिकारी जिन्हे सम्मान में ‘भगवान’ बुलाया गया

बिरसा मुंडा की उलीहातु गाँव में स्थित मूर्ति पर फूलों की हार चढ़ाने के बाद हाथ जोड़ कर आशीर्वाद लेते केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह। (13 अगस्त,2016)(Image Source: Wikimedia Commons)
बिरसा मुंडा की उलीहातु गाँव में स्थित मूर्ति पर फूलों की हार चढ़ाने के बाद हाथ जोड़ कर आशीर्वाद लेते केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह। (13 अगस्त,2016)(Image Source: Wikimedia Commons)

भारतीय इतिहास के वीर जननायक और भगवान माने जाने वाले क्रांतिकारी योद्धा बिरसा मुंडा की आज 120वीं बरसी है। आज से 120 साल पहले 9 जून 1900 ईसवी में बिरसा मुंडा ने रांची जेल में अपनी आखरी सांसें ली थी।

इतिहास गवाह है की बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के नाक में दम कर दिया था। उनके नेतृत्व और प्रभावी रणनीतियों ने अग्रेज़ों की सत्ता की नींव हिला दी थी। 1897 से 1900 तक वे अंग्रेजों से गोरीला युद्ध लड़ते रहे। यहाँ तक की अंग्रेजों ने उनेक ऊपर उस वक़्त 500 रुपये का इनाम भी रखा था।

बिरसा मुंडा का जन्म झारखंड के उलीहातु नामक गाँव में 15 नवंबर 1875 को हुआ था। उनके जन्मस्थान पर अब उनकी प्रतिमा लगा दी गयी है। हर साल लोग उनको श्र्द्धांजली अर्पित करने वहाँ जाया करते हैं।

झारखंड की राजधानी रांची में स्थित रांची जेल के परिसर में भी बिरसा मुंडा के प्रतिमा की स्थापना की गयी है। यही वो जेल है जहां 3 फरवरी 1900 को अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हे रखा गया था। 4 महीने बाद आज ही दिन उनकी संदिघ्त परिसतिथी में जेल के अंदर मौत हो गयी थी।

वैसे तो पूरा देश उनका सम्मान करने के साथ उन पर गर्व करता है, लेकिन झारखंड राज्य के संथाल समुदाय में उनकी लोकप्रियता बाकी राज्यों के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है। इतिहास के वो ऐसे क्रांतिकारी योद्धा थे जिन्हे सिर्फ बिरसा मुंडा नहीं बल्कि 'भगवान' बिरसा मुंडा कहा गया।

ट्वीटर पर भी लोगों ने आज बिरसा मुंडा को याद किया।

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