जनहित याचिकाएं दायर करने के लिए चर्चित भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक और पीआईएल दाखिल कर देश में कालाधन, बेनामी संपत्ति और आय से अधिक कमाई के मामले में सौ प्रतिशत संपत्तियों को जब्त करने की मांग उठाई है। भाजपा नेता ने कहा है कि देश में भ्रष्टाचार रोकने के लिए बने कानूनों के प्रावधान नाकाफी हैं। यही वजह है कि कालाधन और बेनामी संपत्तियों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि कमजोर कानूनों के कारण भारत करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में टॉप 50 देशों में कभी स्थान नहीं बना पाया। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल ने भारत को 80 वें स्थान पर रखा है। अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा कि, "अगर जनहित याचिका में दाखिल सुझावों पर अमल हो तो केंद्र और राज्य सरकारें हर साल जनता के सात लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का सदुपयोग कर सकती हैं।"
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अश्विनी उपाध्याय ने कहा, "केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों का सालाना करीब 70 लाख करोड़ रुपये का बजट है। करप्शन, घूसखोरी के कारण कुल बजट का दस प्रतिशत यानी सात लाख करोड़ कालाधन बन जाता है। सरकार सौ रुपये से अधिक के नोटों को बंद करे, पांच हजार से अधिक की नकद निकासी पर रोक लगाए और 50 हजार से अधिक की संपत्ति को आधार से जोड़ने की पहल करे तो कालाधन की समस्या खत्म होगी।"
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अभी तक देश में मौजूद कानून यह नहीं बताते कि भ्रष्टाचार के आरोपी की कितनी संपत्ति जब्त की जा सकती है। ऐसे में बेनामी संपत्तियों, कालाधन और आय से अधिक कमाई के मामले में संलिप्त लोगों की सौ प्रतिशत संपत्तियों को जब्त करने का कानून बनाया जाना जरूरी है। भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट से इस दिशा में सरकार को उचित निर्देश देने की मांग की है। (आईएएनएस)