Jahangirpuri में गरजे निगम के Bulldozer, मिन्नतें करते रहे दुकानदार

सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के एक घंटा बाद भी तोड़फोड़ नहीं रुकी।"(Wikimedia Commons)
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के एक घंटा बाद भी तोड़फोड़ नहीं रुकी।"(Wikimedia Commons)
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राजधानी दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी(Jahangirpuri) इलाके में बुधवार को अतिक्रमण विरोधी अभियान चला, जिसकी जद में कई दुकानें आ गईं। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) के आदेश के बावजूद करीब 1 घंटे तक बुल्डोजर(Bulldozer) का पंजा चलता रहा। इस दौरान एक जूस विक्रेता और पान दुकानदार अधिकारियों के आगे मिन्नतें करते रहे, लेकिन बुल्डोजर(Bulldozer) के आगे उसकी एक न चली। जहांगीरपुरी(Jahangirpuri) के कुशल चौक पर इसी इलाके के निवासी गणेश गुप्ता की जूस की दुकान पर भी बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम का बुल्डोजर(Bulldozer) चला। अधिकारियों की मानें तो दुकान तोड़कर अतिक्रमण हटाया गया है, लेकिन दुकान मालिक ने दावा किया कि उसे 1977 में दुकान आवंटित हुई थी, अब बिना नोटिस के ही तोड़ दिया गया।"

गणेश गुप्ता को जब दोपहर में यह पता लगा कि उसकी दुकान पर भी बुल्डोजर(Bulldozer) चलने वाला है, तो वह अपने सभी दस्तवाजे लेकर दुकान के बाहर आकर अधिकारियों के आगे मिन्नतें करने लगा कि एक बार दस्तावेज देख लो, लेकिन बुल्डोजर(Bulldozer) के आगे उसकी आवाज धीमी पड़ गई।

गणेश गुप्ता ने मीडिया के आगे अपनी बात रखी। उसने कहा, "1977 से ही मेरी दुकान को डीडीए(DDA) से अलॉटमेंट मिली हुई है, मेरे पास सभी कागज भी हैं। इस दुकान का हर साल 4800 रुपये किराया देता हूं। मैंने इन अधिकारियों को सबकुछ बताने की कोशिश की, लेकिन किसी ने एक न सुनी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के एक घंटा बाद भी तोड़फोड़ नहीं रुकी।"

गणेश अपनी इस बात को कई बार दोहराता रहा, लेकिन निगम के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने हर बार उसे नजरअंदाज कर दिया और उसकी दुकान पर बुल्डोजर चलवाते रहे।

गणेश अकेला ऐसा व्यक्ति नहीं था, जो बुल्डोजर के आगे आकर अपनी दुकान को बचाने में लगा हो। इसी तरह पान दुकादार रमण झा ने भी निगम पर आरोप लगाया कि उसे कार्रवाई से पहले कोई सूचना नहीं दी गई। उसने पुलिसकर्मियों से पूछा भी था कि क्या वह अपनी दुकान हटा ले? लेकिन हर किसी ने उसे आश्वासन दिया कि 'तुम्हारी पान की दुकान को कुछ नहीं होगा।'

सुबह करीब 10 बजे सबसे पहला बुल्डोजर रमण की पान दुकान पर ही चला। उसने रोते हुए कहा, "मैं जहांगीरपुरी में अपनी पान की दुकान 1985 से ही चला रहा हूं। मेरे पास परिवार का गुजारा चलाने के लिए एक ही सहारा था, जो छीन लिया गया।"

निगम प्रशासन की इस कार्रवाई पर हालांकि कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

आईएएनएस(DS)

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