चीन की चिंता व्यर्थ है! भारत को बर्बाद करने के लिए हमारे अपने ही काफी हैं

चीन की चिंता व्यर्थ है! भारत को बर्बाद करने के लिए हमारे अपने ही काफी हैं
चीन की चिंता व्यर्थ है! भारत को बर्बाद करने के लिए हमारे अपने ही काफी हैं

भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के कारण हमारे ही देश के बुद्धिजीवियों ने सरकार और सेना पर सवाल उठाने शुरू कर दिये है। जानकारी के मुताबिक गलवान घाटी स्थित एलएसी(लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर एक खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए, तो वहीं चीनी सेना को भी भारी नुकसान सहना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार चीनी सेना के 43 जवानों के घायल/मारे जाने की बात सामने आई है। 

इस घटना के बाद भारत के विपक्षी पार्टियों ने मुखर रूप से प्रधानमंत्री और सरकार का विरोध शुरू कर दिया है। सरकार के नाम पर ये लोग लगातार सेना के फ़ैसलों पर सवाल उठा रहे हैं। एक बड़ी तादाद, उन लोगों की भी है जो इस घटना के बाद, सेना और देश के साथ मजबूती से खड़े होने की जगह भारतीय जवानों की मौत का भद्दा मज़ाक उड़ा रहा है। इन लोगों में से सबसे बड़ा गुट, वामपंथियों और काँग्रेस पार्टी के नेता और समर्थकों का है।

कोई इतनी दर्दनाक घटना का मज़ाक कैसे बना सकता है? करण तलवार नाम के एक कॉमेडियन ने जाहिलीयत की सारी हदें पार कर दी है। अभी हाल ही में अमरीका में, श्वेत पुलिसकर्मी द्वारा अश्वेत नागरिक का गला घोंट कर मार दिये जाने का एक वीडियो वायरल हुआ था। उसी वीडियो में से एक तस्वीर निकाल कर एडिट कर दिया गया है,और उसे ऐसा दिखाने का प्रयास किया गया है जैसे मारने वाला व्यक्ति चीन का राष्ट्रपति है तो वहीं मार खाने वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री मोदी के रूप में दर्शाया गया है। इन्स्टाग्राम पर करण तलवार द्वारा डाले गए पोस्ट का स्क्रीनशॉट मैंने ट्वीटर पर साझा किया है। आप देख सकते हैं। 

एक्टर, कॉमेडियन, बॉलीवुड के डायरेक्टर, पत्रकार, और कई बुद्धिजीवी, ओछी भाषा का प्रयोग कर, देश और सेना का मनोबल कमजोर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री को डरपोक बताना, सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उकसाना, और कई अन्य तरीकों से ये लोग चाइना का पक्ष मजबूत करने की जी-जान से कोशिश कर रहे हैं।

अनुराग कश्यप, बॉलीवुड के जाने माने डायरेक्टर में से एक हैं। आप इनके ट्वीट को पढ़िये और समझने की कोशिश करिए की आखिर वो कहना क्या चाह रहे हैं। आखिर वो किसे और क्यूँ कह रहे हैं?

6 जून को भारत और चीन के बीच करार होता है की, दोनों देश अपनी सेना को सीमा से पीछे हटाएँगे। भारत इस करार को मान कर अपनी सेना पीछे कर लेता है, लेकिन चीन धोखेबाज़ी कर वहीं जमा रहता है। जब इसकी खबर भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू को लगती है तो इस बात का जायजा लेने वो अपनी छोटी टुकड़ी के साथ वहाँ पहुँचते हैं लेकिन पहले से ही तैयार बैठी चीनी सेना उन पर हमला कर देती है, जो बाद में भयानक खूनी संघर्ष का रूप ले लेता है। कम संख्या में होने के बावजूद भी हमारे वीर जवान, चीनी सेना को करारा जवाब देने में सफल साबित होते हैं। इस संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो जाते है, तो वही चीन के 43 जवानों के मारे जाने की भी खबर आती है। 

चीन की इस धोखेबाज़ी और कायराना हरकत पर आप मोदी को गाली देते हैं, सेना को गाली देते हैं? आप अपने ही देश की सरकार और देश की सेना को डरपोक बताते हैं। सेना के जवान अपनी जान पर खेल कर दुश्मनों पर हमला करते हैं, उनसे लड़ते हैं, उनमें से कइयों को जान की बलिदानी तक देनी पड़ती है। और आप इन्हे डरपोक कह रहे हैं? क्या आपने चीनी सेना की हरकत पर कुछ बोला? क्या चीन की हरकत कायराना नहीं थी? पूछने पर ये लोग झट से कह देंगे की, "हम तो सरकार से सवाल कर रहे हैं"। ये कैसा सवाल है? क्या आपको सारी गलती अपने देश की सेना और सरकार में ही नज़र आती है?

इतना ही नहीं, आप सेना द्वारा किए जाने वाले सर्जिकल स्ट्राइक तक का मज़ाक उड़ते हो, आप उनके समर्थन में खड़े होने की जगह उन्हे उक्सा रहे हो?

यशवंत सिन्हा ने भी इस घटना पर सर्जिकल स्ट्राइक की मांग कर उकसाने की कोशिश की है। इस पर ऑपइंडिया के मालिक राहुल रौशन लिखते हैं की "जब पाकिस्तान की बात आती है तो ये लोग 'अमन की आशा' जैसी बातें करते हैं क्यूंकी इन्हे पता है की युद्ध अगर पाकिस्तान से होती है तो भारत ही जीतेगा। लेकिन चाइना से विवाद की स्थिति में यही लोग जंग लड़ने को लेकर उकसाने लगते हैं, क्यूंकी इन्हे लगता है और ये मनाते भी हैं की चाइना भारत को बर्बाद कर देगा"।

अक्सर देखा जाता है की ऐसे संघर्ष में ये लोग भारत के जवानों की शहदत के आंकड़ें बढ़ा चढ़ा कर चलाते हैं, लेकिन दुश्मन के खेमे में हुई मौत के आंकड़ें पर ये संदेह जताने लगते हैं, और उसे मानने से इंकार कर देते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के वक़्त भी सेना द्वारा साझा किए गए आतंकवादियों के मौत के आंकड़ों पर इन लोगों ने बार बार सवाल उठाए थे। ठीक उसी प्रकार, भारत-चीन के बीच हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय जवानों के शहादत के आंकड़ों को सही मान कर इन्होने सरकार को घेरना शुरू कर दिया था, लेकिन वहीं जब चीनी खेमे में हुए मौत के आंकड़ें सामने आयें तो ये सबूत मांगने लग गए। मकसद साफ है-

'दुनिया के सामने देश को कमजोर साबित करना'

भारत चीन सीमा विवाद और खूनी संघर्ष को देखते हुए पूरे भारत में चाइना के उत्पादों पर रोक लगाने की मांग की जा रही है। ट्वीटर पर चीन और चीनी सामानों के खिलाफ ट्रेंड भी चलाए जा रहे हैं। हमारे 20 जवानों के शहीद होने के बाद देश में चाइना के खिलाफ जन्मा गुस्सा स्वाभाविक है। लेकिन वहीं एक गुट ऐसा भी है जो इसके भी खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने लगा है। ट्वीटर पर मुझे एक महिला का ट्वीट दिखा जिसमे वो सरकार को कोसते हुए कह रही है की, वो चीनी उत्पादों का बहिष्कार नहीं करेंगी।  

ऐसे लोगों का देश के प्रति योगदान शून्य के बराबर होता है। ये लोग हर समस्या का समाधान प्रधानमंत्री से मांगते हैं। हर मुसीबत, हर तकलीफ़, हर घटना का जिम्मेदार प्रधानमंत्री को ही बताते हैं। और जब प्रधानमंत्री या सरकार किसी मुसीबत से निकलने का समाधान ले कर आती है तो इनकी पूरी लॉबी इसका विरोध करने में जुट जाती है। मतलब साफ है, "खुद कुछ करना नहीं है, और जो कर रहे हैं, उन्हे कुछ करने नहीं देना है। 

आज काँग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीटर पर सवाल कर दिया की, हमारी सेना आखिर बिना हथियार के क्यूँ गयी। ये राहुल गांधी की अज्ञानता कह लीजिए या उनकी सरकार और सेना विरोधी मानसिकता, जिसके कारण वो हर संभव हालत में सरकार या सेना का विरोध करने को आतुर रहते हैं। 

सेना द्वारा हथियार ना रखने के पीछे की वजह 1996 में हुई सीमा संधि है जिसके तहत एलएसी के 2 किलोमीटर के रेंज में सैनिकों द्वारा हथियार रखे जाने या उसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। ये भारतीय और चीनी सेना, दोनों के लिए लागू होता है।

ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है की ऐसे कठिन समय में भी ऐसी ओछी राजनीति की जा रही है। भारत के भीतर ही ऐसे लोग भरे पड़े हैं जो हमारे सैनिकों को मरता हुआ देखना चाहते हैं, ताकि उन्हे सरकार के खिलाफ विरोध का मौका मिल सके। शर्मनाक।

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