प्रथा अनुसार हर वर्ष मछिंद्रनाथ के सम्मान में भक्त श्रीमालंग यात्रा करते हैं, जिनमे उनकी आस्था अधिक है। किन्तु कोरोना महामारी की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा और मंदिर में ही अनुष्ठान को करने की अनुमति दी गई। इस बीच कम लोगों को ही उपस्थित रहने की अनुमति दी गई थी, जिनमे से केवल सात लोग ही आरती में शामिल हुए थे। किन्तु उन शांतिप्रिय लोगों को यह आज़ादी भी रास नहीं आई और मंदिर में हंगामा करने चले आए। उन्होंने 'अल्लाह-हु-अकबर' चिल्लाने के साथ-साथ वहां चल रहे अनुष्ठानों को भी रोकने का भी प्रयास किया।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद कुछ मीडिया संगठनों ने भी मोर्चा संभाला। किन्तु लिब्रलधारी मीडिया जैसे The Wire या अन्य संगठनों ने इस पर चर्चा भी नहीं की है। यही नहीं महाराष्ट्र के ही अकोला जिले में 28 मार्च को ही इन शांतिप्रिय समुदाय के लगभग 300 लोगों ने जलती होलिका पर पानी डाल दिया और पैरों से मार-मारकर बुझा दिया था । यह घटना वहां हुई है जहाँ मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोग रहते हैं। जिस मंदिर में यह घटना हुई उसे उदासी मठ के नाम से जाना जाता है जो कि काफी प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस घटना का सबूत देते हुए 'स्वानंद कोंडीलकर' ने एक वीडियो साझा किया जिसमे मुस्लिम लोग होलिका को पानी से बुझाते दिखाई दे रहे हैं। वह मराठी में ट्वीट करते हैं जिसका हिंदी अनुवाद है कि "पोला चौक, अकोला में एक प्राचीन हनुमान मंदिर (उदासी मठ) है। मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में है। यह मंदिर पिछले कई वर्षों से उपेक्षित है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से इलाके के हिंदू युवाओं ने हर शनिवार हनुमान चालीसा और आरती करना शुरू कर दिया है।"
अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि "कल, इलाके के युवाओं ने मंदिर के सामने होलिका जलाने का फैसला किया। स्थानीय मुसलमानों ने होलिका जलाने का विरोध किया। विरोध में होलिका जलाई गई। इसके तुरंत बाद, 200 से 300 मुस्लिम भीड़ इकट्ठा हुई और होलिका पर पानी डाला गया। अकोला में यही स्थिति …"
विचार करने की बात यह है कि यदि भारत सांप्रदायिक सद्भाव के लिए विश्वभर में प्रसिद्द है, तो हमले और आलोचनाओं के कटाक्ष हिन्दू ही क्यों सहते हैं? आखिर एक सनातनी कितना सहनशील रहेगा? हिन्दू बहुल राष्ट्र में यदि मुस्लिम समुदाय होलिका जलाने पर विरोध कर सकते हैं, तो यह एकता और भाईचारे का ढोंग क्यों? इन दोनों घटनाओं के बाद हिन्दू समाज में गुस्से का माहौल है और वह सभी पुलिस से उन उपद्रवियों पर करवाई करने का 4 दिन का अल्टीमेटम भी दे चुके हैं।