नक्सली हिंसा के कारण कभी जमीन रहती थी खून से लाल,अब वहाँ उपज रहे तरबूज

नक्सली हिंसा के कारण कभी जमीन रहती थी खून से लाल,अब वहाँ उपज रहे तरबूज।(IANS)
नक्सली हिंसा के कारण कभी जमीन रहती थी खून से लाल,अब वहाँ उपज रहे तरबूज।(IANS)

नक्सली हिंसा के चलते जिस इलाके की जमीन कभी खून से लाल हो जाती थी, अब उस जमीन पर उपज रहे तरबूज की लाली ने सैकड़ों किसानों की जिंदगी में खुशहाली बिखेर दी है। यह कहानी झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत चुरचू और डाड़ी ब्लॉक की है। यहां सैकड़ों एकड़ में तरबूज की बंपर खेती हो रही है। पूरे सीजन मेंएक-एक किसान लाख-दो लाख से लेकर 18-20 लाख रुपये तक तरबूज की फसल घर बैठे बेच देता है। झारखंड के शहरों से लेकर देश के कई महानगरों के थोक कारोबारी और आढ़तिये यहां के किसानों के खेतों से फसल उठा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद-कोलकाता की मंडियों से यही तरबूज बांग्लादेश तक जा रहा है। वर्ष 2016 में यहां चुरचू बाडी फल सब्जी प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड नामक एक एफपीओ बना। इसके सीईओ हैं फुलेश्वर महतो। इस संस्था से41 गांवों के 760 किसान जुड़े हैं। बीते साल इस एफपीओ ने 1732 क्विंटल तरबूज व अन्य फसलें ऑनलाइन बेची थीं। पिछले साल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की थी।

दरअसल कृषि मंत्रालय के पोर्टल ई-नाम ने किसानों को यह सहूलियत उपलब्ध करायी है कि वे खेतों में तैयार फसल ऑनलाइन देश भर की मंडियों में बेच डालते हैं। चुरचू-डाड़ी और आस-पास के ब्लॉक में पिछले पांच-छह वर्षों में किसानों के डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा एफपीओ (फार्मर्स प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन) बन गये हैं। प्रत्येक एफपीओ से पांच सौ से लेकर दो-ढाई हजार किसान जुड़े हुए हैं। एफपीओ के जरिए ई-नाम पोर्टल पर ऑनलाइन डील में आसानी होती है।

डाड़ी ब्लॉक के एक युवा प्रगतिशील किसान विनोद कुमार ने एक दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिपिंग अपलोड की है। इसमें वह अपने बगान में हैं, और मुर्शिदाबाद (बंगाल) से तरबूज खरीदने पहुंचे थोक व्यापारी मोहन मंडल से बात कर रहे हैं। इस वीडियो में व्यापारी बता रहा है किउसने बगान से एक खेप में 14 मिट्रिक टन तरबूज खरीदा है और यह माल मुर्शिदाबाद होते हुए बांग्लादेश तक जायेगा।

हजारीबाग जिला बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि पिछले साल हजारीबाग के किसान विजय कुमार, चूरचू नारी ऊर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी, चूरचू बाड़ी फल सब्जी प्रोड्यूसर, डाड़ी संयुक्त ग्रामीण प्रोड्यूसर कंपनी, उत्तरी छोटानागपुर प्रोग्रेसिव फार्मर प्रोड्यूसर, किसान जितेंद्र साव, सकलदीप मुंडा, संजय कुमार राणा, शंभु कुमारने ई- नाम के जरिए तरबूज देश भर की मंडियों में बेचे।इनमें से प्रत्येक ने लाखों रुपये का कारोबार किया।

खास बात यह है कि तरबूज की खेती और उसके कारोबार में महिला किसानों का किरदार बेहद अहम है। चूरचू नारी ऊर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की चर्चा तो देश के स्तर पर है। बीते साल 17 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित लाइवलीहुड समिट में चुरचूनारी ऊर्जा र्को लघु श्रेणी केएफपीओ में बेस्ट एफपीओ ऑफ द ईयर आंका गया और एफपीओ इंपैक्ट अवार्ड 2021 से सम्मानित किया गया था।

इस कंपनी में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से लेकर सदस्य और किसान सभी महिलाएं हैं। चेयरमैन सुमित्रा देवी व निदेशक लालमुनी मरांडी हैं। इस एफपीओ ने भी पिछले साल 92 लाख रुपये से ज्यादा की फसलों का कारोबार ई-नाम के जरिए किया। तरबूज के साथ-साथ अन्य फसलें भी ऑनलाइन बेची गयीं।

किसानों की कामयाबी इलाके के उन पढ़े-लिखे युवाओं को भी प्रेरित कर रही हैं, जो बाहर के शहरों में कॉरपोरेट और बड़ी कंपनियों में नौकरी करते हैं। चुरचू के रबोध गांव निवासी विनोद महतो पुणे में एक बड़े बैंक में 15 साल से अफसर थे। पत्नी राधिका कुमारी भी एक मल्टीनेशनल कंपनी में कॉरपोरेट इंजीनियर थीं। कोविड की अनिश्चितताओं के बीच करीब दो साल पहले दोनों गांव लौटे तो तय किया कि नई तकनीक के साथ खेती में हाथ आजमाया जाये। पिछले साल 10 एकड़ से ज्यादा जमीन पर तरबूज की खेती की और लगभग 10 लाख रुपये का कारोबार किया। इस बार 18 एकड़ में तरबूज उपजाया है।

हजारीबाग के ही दारू प्रखंड के हरली गांव निवासी दीपक कुमार भी तीन साल पहले एक कंपनी में 9 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर काम करते थे। इस साल दीपक ने गांव लौटकर 12 एकड़ में तरबूज की खेती की है। चुरचू के अलावा हजारीबाग सदर, दारू, कटकमसांडी, कटकमदाग, टाटीझरिया, बड़कागांव, बिष्णुगढ़ और बरकट्ठा प्रखंड के किसानों ने भी लगभग 700 एकड़ में तरबूज उपजाया है। हालांकि कोविड के दौरान लॉकडाउन के कारण तरबूज उपजाने वाले कई किसानों को पिछले साल नुकसान भी उठाना पड़ा। इस बार अच्छी फसल हुई है और कीमत भी अच्छी मिलने की उम्मीद है।

हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार प्रसन्न मिश्र बताते हैं कि तरबूज की वैज्ञानिक तरीके से खेती के जरिए पूरे जिले में पांच हजार से भी ज्यादा किसानों के जीवन में खुशहाली की दस्तक आई है।

IANS(LG)

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