मध्य प्रदेश के जिले में गीत-संगीत के जरिए हो रही है पढ़ाई

कोरोनाकाल में आ रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई का यह अनोखा तरीका अपनाया गया है। (सांकेतिक चित्र, Unsplash)
कोरोनाकाल में आ रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई का यह अनोखा तरीका अपनाया गया है। (सांकेतिक चित्र, Unsplash)

कोरोना संक्रमण के चलते शिक्षण संस्थान बंद चल रहे हैं। मध्य प्रदेश की बोर्ड कक्षाओं 10वीं और 12वीं में तो पढ़ाई शुरु करने की तैयारी है, मगर माध्यमिक शालाएं अगले सत्र में ही खुलेंगी। ऐसे में जिन कक्षाओं की स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है, उन बच्चों को पढ़ाने के लिए तरह-तरह के जतन किए जा रहे हैं।

खंडवा (Khandwa) जिले के कई गांव में तो प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को गीत संगीत के जरिए पढ़ाई कराई जा रही है।

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने एहतियाती कदम उठाए हैं, इसके तहत मुहल्ला कक्षाएं चलाई जा रही हैं, ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। बड़ा वर्ग ऐसा है जिनके पास ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल ही नहीं है, जहां मोबाइल है तो वहां नेटवर्क की समस्या है। यही हाल राज्य के अन्य हिस्सों की तरह खंडवा के आदिवासी बाहुल्य इलाकों का भी है।

आदिवासी वर्ग सहित अन्य वर्ग के बच्चों की पढ़ाई हो सके, इसके लिए खालवा विकास खंड के गांव मातपुर, धबूची, खेड़ी, चट्टा-गट्टा, रोशनी आदि में ओटला (बरामदा) कक्षाएं चल रही हैं। इन कक्षाओं के संचालन में निक्की वेलफेयर सोशल सर्विस सोसायटी ने बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट ऑब्जरवेटरी ने मदद की।

निक्की सोसायटी की निकिता बताती हैं कि, "सरकारी शिक्षक गांव तक पहुंचकर बच्चों को पढ़ाते हैं, मगर कई बच्चे ऐसे हैं जिनके पास मोबाइल आदि नहीं है। इसके अलावा नेटवर्क न होने की भी समस्या आती है। ऐसे में इन बच्चों को लैपटॉप, मोबाइल आदि के जरिए शिक्षा दी जा रही है। उन्हें गीत-संगीत के जरिए पढ़ाया जा रहा है, ताकि उनका पढ़ाई में मन लगा रहे।"

निकिता के अनुसार, शिक्षा विभाग ने बच्चों के पढ़ाने के लिए सामग्री तैयार की है, वहीं अन्य माध्यमों से दृश्य-श्रव्य आधारित सामग्री जुटाकर बच्चों को बढ़ाया जा रहा है। इस विधा से जहां बच्चे पढ़ रहे हैं, वहीं उनका मनोरंजन भी हो जाता है। (आईएएनएस)

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