13 अक्टूबर की सुबह को करीबन 10 बजे देवस्वम बोर्ड के अधिकारी मंदिर पहुंचे और पुलिस सुरक्षा की मदद से मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया। केरल सरकार ने भक्तों पर केरल पुलिस के बल का उपयोग कर मत्तनूर महादेव मंदिर पर जबरन कब्जा किया। भक्तों के मुताबिक केरल सरकार की नजर निजी तौर पर प्रतिबंध मंदिरों पर है जो अच्छा खासा राजस्व अर्जित करते हैं।
केरल सरकार के तहत मालाबार देवस्वम बोर्ड ने भक्तों के भारी विरोध के बीच कन्नूर में मट्टनूर महादेव मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया है। कुछ राजनीतिक दलों का मानना है कि सीपीआईएम और पिनाराई अपने एजेंडे को लागू करने में व्यस्त हैं।
जब तक अंग्रेजों ने मंदिरों पर कब्जा नहीं किया था तब तक इन मंदिरों को केरल में अंतिम राजशाही द्वारा सुरक्षित किया गया था, जबकि स्वतंत्र भारत की सरकारों ने उन्हें भक्तों को कभी वापस नहीं दिया। मध्ययुगीन युग के अंत तक, त्रावणकोर के महाराजा ने इन मंदिरों की परंपराओं को बनाए रखने के लिए पुजारियों और सेवादारों को नियुक्त किया।
वर्तमान में, लगभग छह जिलों में 1,600 मंदिर मालाबार देवस्वम बोर्ड के नीचे हैं। फरवरी में केरल सरकार के तहत बोर्ड ने मंदिर के कर्मचारी के वेतन में संशोधन किया और मंदिर के मुख्य पुजारी को त्योहारों, पवित्र प्रसाद और दक्षिणा पर मंदिर द्वारा किए जाने वाले खर्चों को कम करने का आदेश भी दिया था। मंदिर के कर्मचारियों का कहना है कि बोर्ड समान काम के लिए समान वेतन पर विचार नहीं करता इसीलिए अब वह अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं।
यह केरल में रहने वाले शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण मंदिर है, जो कि अब देवस्वूम बोर्ड अधीन है। (Wikimedia Commons)
अप्रैल 2021 से, देवस्वम बोर्ड ने कहा था कि "वेतन का भुगतान संशोधित पैमाने पर किया जाएगा और कर्मचारियों को वर्षों से लंबित वेतन का भुगतान जल्द से जल्द किया जाएगा। लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे मत्तनूर महादेवा मंदिर के कर्मचारियों का वेतन व अन्य मामले संकट में हैं।" शिव भक्तों का आरोप है कि बोर्ड अब मालाबार के सभी प्रसिद्ध मंदिरों को जब्त कर इन मंदिरों के दिनचर्या के लिए स्थानीय मदद मांग रहा है।
मालाबार देवस्वोम द्वारा महादेव मंदिर के कब्जे के विरोध में स्थानीय लोग सामने आए। लेकिन मत्तनूर सीआई के नेतृत्व में पुलिस टीम ने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया। पुलिस ने बल प्रयोग किया और मंदिर परिसर में काफी दबाव पैदा कर दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बोर्ड ने विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बिना मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया।
भारत में, अकेले हिंदुओं के पूजा स्थल राज्य के नियंत्रण में हैं, जबकि चर्च, मस्जिद, मकबरे, सिखों के गुरुद्वारे, पारसी के सूर्य मंदिर आदि सभी संबंधित धर्मों के अनुयायियों के अनन्य डोमेन हैं।
Input: Tanu Chauhan