“सरकार का एजेंडा नौकरशाह के लिए गीता-रामायण जैसा”

भगवान श्री कृष्ण से अर्जुन, दिव्य ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। (Wikimedia Commons)
भगवान श्री कृष्ण से अर्जुन, दिव्य ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। (Wikimedia Commons)
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By – विवेक त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल की पहचान उन अधिकारियों में है, जो किसी भी विभाग को अपने 'इनोवेशन' और विजन से सुर्खियों में ला देते हैं।

नवनीत सहगल के बारे में

अपने काम के दम पर नवनीत सहगल पिछली कई सरकार में अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मौजूदा समय में वह योगी सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और सूचना एवं जनंसपर्क विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं। सूचना जैसा अहम विभाग उनको हाल में ही मिला है। पिछली दो सरकारों में भी यह विभाग उनके पास था। काम ही उनकी पहचान है। ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) और माटीकला बोर्ड इसके सबूत हैं।

नवनीत सहगल। (Navneet Sehgal, twitter)

ओडीओपी योजना जिस तरह से ऊचाइयों पर पहुंचाया है उसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री कर चुके हैं। वैसे सहगल राज्य की हर सरकार के संकट मोचक भी माने जाते हैं। कोरोना काल के दौरान उन्होंने एमएसएमई के माध्यम से करीब 30 से 32 लाख रोजगार पैदा किये हैं।

सरकार का एजेंडा किसी भी नौकरशाह के लिए गीता जैसा

आईएएनएस से एक विशेष वार्ता में नवनीत सहगल ने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार का एजेंडा किसी भी नौकरशाह के लिए गीता जैसा होता है। कार्यशैली के बारे में पूछने पर कहते हैं कि विभाग कोई भी हो, मैं पूरी सिनसियरटी और रुचि के साथ श्रेष्ठतम करने का प्रयास करता हूं, क्योंकि मेरा काम ही मेरी शोहरत है।

इसके अलावा जिसने काम दिया है उसके प्रति जवाबदेही भी रखता हूं, क्योंकि काम के साथ मुझे भरोसा भी सौंपा गया है। मेरे काम से मैं खुद और जिसके लिए काम कर रहा हूं, दोनों जुड़े हैं। ऐसे में खुद को साबित करने के लिए कुछ अलग करना होता है। अगर ऐसा नहीं कर सका तो मेरे होने का कोई मतलब नहीं।

नौकरशाही के राजनीतिकरण के बारे में कहते हैं, "मैं इससे सहमत नहीं। किसी भी नौकरशाह के लिए सत्तारूढ़ सरकार का एजेंडा गीता और रामायण सरीखा होता है। उस एजेंडे को समय से पूरी पारदर्शिता के साथ जमीन पर उतारना हम जैसे लोगों का फर्ज है। यही हमारे मूल्यांकन का भी आधार है। यही ब्रिटेन में भी है। हमारा संविधान भी काफी हद तक ब्रिटेन से प्रभावित है।"

नवनीत सहगल का मूल मंत्र 'संवाद' है

सबको कैसे संतुष्ट कर लेते हैं, इस सवाल पर सहगल का कहना है कि मेरा मूल मंत्र संवाद है, उसी से सबको संतुष्ट करने का प्रयास करता हूं। सबकी सुनता हूं, भले ही वह अजनबी ही हो। संभव है तो उसकी समस्या का तुरंत समाधान करने का भी प्रयास करता हूं। यदि काम असंभव लगता है तो साफ मना कर देता हूं। देखने में नहीं करने में यकीन रखता हूं। दिल और जुबान में कोई अंतर नहीं रखता। मेरा मानना है कि अगर ईश्वर ने आपको लोगों की मदद लायक बनाया है तो हर जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। कोई भी आपके पास बहुत उम्मीदों के साथ आता है। संवाद से ही उसको शुकून मिलता है। मदद तो उसके लिए उपलब्धि होती है।

यह पूछने पर कि अपनी आलोचना को आप किस तरह से लेते हैं, उन्होंने कहा, "पहले विचलित होता था, लेकिन अब नहीं। सुनता हूं। गुनता हूं। जरूरत हुई तो खुद में सुधार भी करता हूं।"

6 लाख तीस हजार इकाईयों को लोन उपलब्ध करवाया है

अगले सवाल के जवाब में सहगल ने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 6 लाख तीस हजार इकाईयों को 10 करोड़ से ज्यादा का लोन उपलब्ध करवाया है। बहुत सारी ईकाइयां जो बैंक से बिना वित्त पोषण किये हुए प्रारंभ हुई है, वे उद्योग आधार मेमोरेंडम (यूएएम) में पंजीत है। हमारे पास जो आंकड़ा है उसमें करीब आठ लाख ईकाइयां यूपी में रजिस्टर्ड हुई हैं। इन नई इकाईयों से करीब 30 से 32 लाख लोगों को रोजगार मिला है। छोटी-छोटी ईकाईयों में अगर औसतन चार रोजगार मान लें तब भी यह संख्या 32 लाख तक पहुंचती है।

सहगल ने बताया कि कोराना संकट के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार समीक्षा करते रहे। इसके अलावा हमने बैंको के साथ समन्वय करके साथी ऐप को संचालित किया है। वकिर्ंग इकाइयों को तमाम प्रकार की दिक्कतें थी, जिसे दूर किया गया। इससे एमएसएमई में कांफीडेंस आया। लॉकडाउन के समय आवश्यक इकाईयों को बंद नहीं होने दिया गया। दवाइयों और एक्सपोर्ट की कंपनियों को लगातार संचालित किया गया।

उत्तर प्रदेश में करीब 50 हजार पीपीई किट रोज बन रहे हैं। (Pixabay)
उत्तर प्रदेश में करीब 50 हजार पीपीई किट रोज बन रहे हैं। (Pixabay)

उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के समय उप्र में एक भी पीपीई किट नहीं बनता था। लेकिन, आज की तारीख में हमारे राज्य में करीब 50 हजार पीपीई किट रोज बन रहे हैं। मुख्यमंत्री की समीक्षा, विभागों का अनुश्रवण, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए निवेश मित्र पोर्टल के कारण प्रदेश में औद्योगिक ईकाइयों की स्थापना में काफी सहूलियत मिली है। इसके अलावा हैंड होल्डिंग करने से नई एमएसएमई में तेजी आयी है। 90 लाख ईकाईयां पूरे प्रदेश में हैं। इनमें करीब आठ लाख पंजीकृत हैं।

सहगल ने बताया कि प्रवासी मजूदरों के रोजगार के लिए सीएआई, फिक्की, लघुउद्योग भारती, क्रेडिको के साथ एमओयू किया गया है। इनसे करीब 25 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, जिनमें ज्यादातर प्रवासी लोग है। यह प्रक्रिया सतत जारी है। 40 से 45 लाख लोग लौटकर आए जो रूके हैं, उन्हें रोजगार मिला है।

सरकार ने कई कामों में मिसाल कायम की है

यह पूछने पर कि सरकार की छवि को लेकर सवाल उठते हैं, लोग कहते हैं कि अधिकारी जमीन पर काम नहीं करते हैं। इसके जवाब में सहगल ने कहा कि सरकार ने पिछले साढ़े तीन वषों में कई अच्छे कार्य किए हैं। कई कामों में मिसाल कायम की है। देश की स्वतंत्र संस्थाओं ने अच्छी रैंक दी है। बहुत से कार्यक्रमों में यूपी नम्बर एक पर रहा है। उसके प्रचार की आवश्यकता है, जिसके लिए कोशिश हो रही है।

एक अन्य सवाल के जवाब में नवनीत सहगल ने कहा कि सरकार के जितने अच्छे कार्य जो जनता से जुड़े हैं, उनकी जानकारी जनता को मिले। इस कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है। किसी भी योजना से हर पात्र को संतृप्त करना सरकार का मकसद होता है। (आईएएनएस)

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