भारत में प्रचलित बी.1.617.2 सार्स-सीओवी2 स्ट्रेन की प्रकृति को देखते हुए घर से काम करना और घर पर अधिक समय बिताना साल 2021 के लिए एक हकीकत बन गया है। ये नतीजा लोकलसर्किल के एक सर्वे में सामने आया है। कई उपभोक्ताओं और परिवारों ने इसे महसूस किया है कि वो एक ऐसा सेट अप चाहते हैं जिससे वे घर से प्रभावी ढंग से सभी तरह के काम कर सकें। इस प्रवृति को देखते हुए घरेलू सामान, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल फोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप, कम लागत वाले प्रिंटर, राउटर, वाई-फाई एक्सटेंडर, वीडियो या वेब कैमरा आदि की मांग बढ़ने की संभावना है। लोकलसर्किल ने कहा, " व्हाइट गुड्स जैसे एयर कंडीशनर, कूलर आदि के लिए भी डिमांड बढ़ने की संभावना है क्योंकि घर में रहकर काम करने के लिए लोग आरामदायक स्थान चाहते हैं । जैसे ही अनलॉकिंग शुरू होती है वैसे ही रिटेल स्टोर, ऑनलाइन खुदरा आपूर्ति फिर से शुरू हो जाएगी, उन्हें उपरोक्त क्षेत्रों में ऑर्डर में बढ़ोतरी होने की संभावना है।"
भारत ने पिछले 60 दिनों में कोविड की दूसरी लहर के साथ जो अनुभव किया है, उसे देखते हुए, सामान्य भारतीय परिवार भयभीत और चिंतित है। पिछले 60 दिनों के दौरान, कई और परिवारों ने, जिन्होंने 2020 में जरूरत की वस्तुओं की खरीद के लिए होम डिलीवरी मॉडल का उपयोग नहीं किया था, लेकिन अब इसे अपना लिया। चाहे वह ई-कॉमर्स ऐप या स्थानीय रिटेलर वेबसाइट, व्हाट्सएप या फोन पर ऑर्डर देने के लिए हो, उन्हें चीजों को डिलीवर कराने की आदत हो गई है। जैसे ही भारत भर में अनलॉकिंग शुरू होती है, 3 में से 2 घरों के लिए, कम से कम अगले 3 महीनों के लिए जिस चैनल से चीजें खरीदना है, उसमें संपर्क रहित वितरण और सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन करना अहम साबित होगा। चूंकि स्टोर खोलने की अनुमति है और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सभी वस्तुओं के लिए ऑर्डर स्वीकार करना शुरू कर देते हैं। इसलिए बच्चों से संबंधित उत्पादों जैसे कि किताबें, स्टेशनरी, ऑनलाइन क्लास उपकरण, मोबाइल फोन, लैपटॉप, व्हाइटगुड्स, उपकरणों जैसे घरेलू उपकरणों, घरेलू साज-सामान आदि से काम के उच्चतम स्तर की मांग बढ़ने की संभावना है। ये निष्कर्ष इस क्षेत्र में काम कर रहे एमएसएमई और खुदरा विक्रेताओं के लिए कुछ आशा प्रदान करते हैं क्योंकि राज्य और जिले अनलॉक होंगे और वे व्यवसाय में वापस आ जाएंगे।
बच्चों के लिए घरेलु सामान की मांग तेज हो गई है। (Pixabay)
लोकलसर्किल सर्वे के अनुसार, 3 में से 2 भारतीय परिवारों के लिए, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कॉन्टैक्टलेस होम डिलीवरी अगले 3 महीनों में उनकी खरीदारी के लिए शीर्ष मानदंड होगा। अगले 3 महीनों में 51 प्रतिशत परिवारों के बच्चों के सामान जैसे किताबें, स्टेशनरी, परिधान, ऑनलाइन क्लास उपकरण पर खर्च करने की संभावना है। निष्कर्ष बताते हैं कि 51 प्रतिशत परिवारों के पास अगले 3 महीनों में बच्चों के लिए विभिन्न वस्तुओं को खरीदने की आवश्यकता है। वैकल्पिक रूप से, अगर हम अलग-अलग 'जरूरी' उत्पादों के प्रतिशत पर गौर करें तो परिवारों को लगता है कि उन्हें अपने बच्चों के लिए खरीदारी करने की आवश्यकता है। जिसमें 39 प्रतिशत ने कहा कि 'स्कूल की किताबें, ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्टेशनरी और उपकरण', 30 प्रतिशत ने कहा 'अन्य बच्चों की जरूरतें जैसे कि घर में बच्चों को व्यस्त रखने के लिए खिलौने, शौक, आपूर्ति, आदि', और 27 प्रतिशत ने कहा 'बच्चों के परिधान, जूते, रेनकोट, आदि' की जरूरत है।
इससे पता चलता है कि 40 प्रतिशत परिवारों का मानना है कि उन्हें अगले 3 महीनों में बच्चों के लिए स्कूल की किताबें, स्टेशनरी और ऑनलाइन क्लास के उपकरण खरीदने होंगे। अगले 3 महीनों में 45 प्रतिशत परिवारों के डब्ल्यूएफएच गैजेट्स (मोबाइल फोन, लैपटॉप, आदि), उपकरण, घरेलू सामान आदि पर खर्च करने की संभावना है।(आईएएनएस-SHM)