उर्दू के साथ हिंदी भी- जम्मू-कश्मीर में चलेंगी ये 5 आधिकारिक भाषाएं

अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच परस्पर संतुलन साधने की कोशिश में केंद्र सरकार जुटी है।(सांकेतिक तस्वीर, Pixabay)
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच परस्पर संतुलन साधने की कोशिश में केंद्र सरकार जुटी है।(सांकेतिक तस्वीर, Pixabay)
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मोदी सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर अहम फैसला लिया। अब जम्मू-कश्मीर में उर्दू और अंग्रेजी के अलावा हिंदी के साथ तीन अन्य को भी आधिकारिक भाषा बनाने को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर अधिकारिक भाषा बिल 2020 को मंजूरी दी है। आगामी संसद सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में कुल पांच आधिकारिक भाषाएं होंगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक 2020 लाने का निर्णय लिया है। इसमें उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी, अंग्रेजी ऑफिशियल लैंग्वेज होंगी। उन्होंने बताया कि यह फैसला लोगों की मांग पर लिया गया है। अभी विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। इसलिए बाद में इस बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी।

दरअसल, अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच परस्पर संतुलन साधने की कोशिश में केंद्र सरकार जुटी है। अभी राज्य में उर्दू और अंग्रेजी में ही सरकारी कामकाज होता आया है। ऐसे में हिंदी के साथ जम्मू डिवीजन में बोली जाने वाली डोगरी को भी आधिकारिक भाषा बनाकर सरकार ने संतुलन बनाने की कोशिश की है। जम्मू के लोग लगातार डोगरी को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग उठाते आए हैं। इसके अलावा जनता की मांग पर कश्मीरी को भी आधिकारिक भाषा बनाया गया है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए अभी बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी भी दिलानी पड़ेगी। (आईएएनएस)

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